गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के स्तनपान को लेकर दिया बयान चर्चाओं में है. उन्होंने कहा है कि आजकल शहरी महिलाएं फिगर खराब होने के डर से बच्चे को अपना दूध नहीं पिलातीं. आनंदी बेन ने महिलाओं के जिस डर का मुद्दा उठाया है वह महत्वपूर्ण है. क्या वाकई महिलाओं को फिगर खराब होने का डर रहता है. हम आपको बता रहे हैं स्तनपान कराने के फायदे.
नई दिल्ली. मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार बताया जाता है. यह नवजात के लिए प्रकृति द्वारा तैयार किया गया सर्वोत्त्म आहार होता है. इस वक्त मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने स्तनपान को लेकर एक बयान दिया है जिसके चलते यह मामला चर्चाओं में आ गया है. उन्होंने कहा है कि आजकल शहरी महिलाएं अपना फिगर खराब होने के डर से बच्चों को स्तनपान नहीं करातीं. लेकिन स्तनपान कराना सिर्फ बच्चे ही नहीं बल्कि मां के लिए भी लाभदायक है. इससे फिगर बिगड़ता नहीं बल्कि सुडौलता आती है.
स्तनपान कराने से मां को गर्भाश्य, ओवरी तथा स्तन कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां होने का खतरा काफी कम हो जाता है. डिलीवरी के बाद महिला को अधिकांश समय आराम ही करना होता है. ऐसे में कभी-कभी मां को डिप्रेशन की समस्या होने लगती है. इस समस्या को पोस्ट नेटल डिप्रेशन कहा जाता है. बच्चे को स्तनपान कराने से यह समस्या दूर होती है और मन को शांति और संतुष्टि मिलती है. स्तन के छोटे या बड़े होने से स्तनपान में कोई समस्या पैदा नहीं होती. इसलिए स्तन या निपल को लेकर कोई वहम नहीं पालना चाहिए.
अधिकांश मांओं को स्तन की सुडौलता कम होने की चिंता रहती है लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता. गर्भावस्था के समय स्तन के आकार में बदलाव होता है. स्तनपान से आकार या सुडौलता में कोई फर्क नहीं पड़ता. इसलिए स्तनपान कराना खराब नहीं है बल्कि नहीं कराने से समस्या हो सकती है. बच्चे को स्तनपान कराते समय मां के शरीर ऑक्सीटॉक्सिन रिलीज होते हैं. इस वक्त गर्भाश्य में भी थोड़ी हलचल होने लगती है. इससे घबराने की जरूरत नहीं है. यह संकेत है कि मां का गर्भाश्य पुरानी अवस्था में आ रहा है.
डिलीवरी के बाद मां का शरीर प्राकृतिक रूप से दूध बनाता है, इससे कैलोरी बर्न होती है. आप जितना दूध पिलाएंगी उतनी ही कैलोरी बर्न होगी. ऐसे में खुद के खानपान पर भी ध्यान रखना जरूरी है. कई बार मोटापे के डर से महिलाएं खाना कम कर देती हैं. इससे उनके शरीर को ही नुकसान होता है. क्योंकि बच्चे के लिए रैगुलर रूप से दूध तो बनना ही है. वह उनके शरीर से ही बनना है. ऐसे में अगर खुद का खाना बंद कर दिया तो शरीर कमजोर हो सकता है. मोटापे की परवाह न करें क्योंकि बच्चे को दूध पिलाने से ही कैलोरी बर्न होती जाती है.
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