जानें ‘मिनी कोरोना’ का खतरा, ज़्यादा दिनों की खाँसी से हो जाए सतर्क

नई दिल्ली: इन दिनों जहाँ भी देखो, खाँसी का कहर जारी है। आमतौर पर इतनी खराब खाँसी की समस्या तब देखी गई थी जब कोरोना चरम पर था और लोगों में दहशत का माहौल था, लेकिन अब लोग फिर से उसी तरह का टॉर्चर झेल रहे हैं। लोगों में भ्रम की स्थिति है कि यह […]

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जानें ‘मिनी कोरोना’ का खतरा, ज़्यादा दिनों की खाँसी से हो जाए सतर्क

Amisha Singh

  • March 3, 2023 10:45 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: इन दिनों जहाँ भी देखो, खाँसी का कहर जारी है। आमतौर पर इतनी खराब खाँसी की समस्या तब देखी गई थी जब कोरोना चरम पर था और लोगों में दहशत का माहौल था, लेकिन अब लोग फिर से उसी तरह का टॉर्चर झेल रहे हैं। लोगों में भ्रम की स्थिति है कि यह कोरोना का रूप है या नया वायरस, जो अब हर चौथे या 5वां व्यक्ति प्रभावित है। यह एक ऐसी खाँसी है जो एक बार आ जाए तो जाने का नाम नहीं लेती है।

 

‘मिनी कोरोना’ का सितम

आपको बता दें, खाँसी होने पर लोगों के फेफड़े कांपने लगते हैं। साँस आनी बंद हो जाती है… गले में दर्द होता है। कभी-कभी पूरी रात खाँसते-खाँसते निकल जाती है। चिंताजनक बात यह है कि पहले खाँसी 5 या 6 दिन में ठीक हो जाती थी। इस बार में जाने में 25-30 दिन का समय लगता है। लेकिन क्या आप इसकी वजह जानते हैं? क्या आपको पता है कि इस बार खाँसी इतनी खतरनाक क्यों है? इस खाँसी से बचने के लिए किस तरह की तैयारी करने की जरूरत है। इस खबर में जानिए क्या है ये वायरस और इससे कैसे बचा जा सकता है।

 

जानिए इस खाँसी की वजह….

आपको बता दें, इसके पीछे एक ऐसा अदृश्य वायरस है। जो कोरोना नहीं है लेकिन इसके लक्षण बिल्कुल कोरोना जैसे हैं। लेकिन आप मिनी कोविड भी कह सकते हैं लेकिन इसे इन्फ्लुएंजा A – H3N2 कहते हैं। जो इस समय देश के कई शहरों में तेजी से फैल चुका है। और हर दिन इसके मरीजों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। ICMR ने इस वायरस को लेकर भी देश में खतरे की घंटी बजा दी और कोविड की तरह ही सावधानी बरतने की सलाह दी। क्योंकि कोरोना की तरह ही इस वायरस से संक्रमित लोगों को भी सबसे ज्यादा खाँसी और बुखार की समस्या होती है।

 

जानें आँकड़े

➨ करीब 92 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो लोग इस वायरस के चपेट में आने के बाद बुखार से पीड़ित होते हैं। इस वायरस को इन्फ्लुएंजा ए कहा जाता है।
➨ 86% लोग ऐसे हैं जिन्हें यह खाँसी होती है। जो एक बार शुरू हो जाता है वह रुकने का नाम नहीं लेती।
➨ 27% लोगों ने खाँसी के साथ सांस की तकलीफ का अनुभव किया।
➨ जबकि 10 फीसदी मरीज ऐसे हैं। जिन्हें खाँसी और साँस लेने में तकलीफ के चलते ऑक्सीजन तक की जरूरत पड़ी।
➨ इस वायरस के करीब 7% मरीज इंटेंसिव केयर में भर्ती हुए।

 

 

ICMR की ओर से जारी गाइडलाइंस यहां पढ़ें…

➨ बार-बार साबुन से हाथ धोएँ।
➨ भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
➨ घर से बाहर निकलते समय मास्क जरूर लगाएँ।
➨ खाँसते और छींकते वक्त अपना मुंह ढक लें
➨ बिना हाथ धोए अपनी आँखों और मुँह को न छुएँ।
➨ खाँसी के लक्षण दिखने पर गर्म पानी पिएँऔर भाप लें।
➨ गर्म नमक के पानी से गरारे करें।
➨ बुखार या मांसपेशियों में दर्द होने पर पैरासिटामोल लें।

 

 

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