नई दिल्ली: Broken Heart Syndrome: वैलेंटाइन वीक के दौरान युवाओं में प्यार, मोहब्बत, इश्क़ की खूब चर्चा हुई। युवाओं ने भी अपने फेवरेट पार्टनर के लिए अपने प्यार का इजहार किया होगा। बहुत से लोग इसमें सफल होते तो कई लोगों को रिजेक्शन भी झेलना पड़ा होगा। वहीं इस दौरान किसी छोटी या बड़ी बातों […]
नई दिल्ली: Broken Heart Syndrome: वैलेंटाइन वीक के दौरान युवाओं में प्यार, मोहब्बत, इश्क़ की खूब चर्चा हुई। युवाओं ने भी अपने फेवरेट पार्टनर के लिए अपने प्यार का इजहार किया होगा। बहुत से लोग इसमें सफल होते तो कई लोगों को रिजेक्शन भी झेलना पड़ा होगा। वहीं इस दौरान किसी छोटी या बड़ी बातों के चलते न जाने कितने पुराने रिश्ते टूटे भी होंगे। आपको बता दें, दिल टूटने का असर सीधे तौर पर प्यार करने वाले के दिल पर पड़ता है। इस वजह से उन्हें एक अजीब सी बेचैनी, घबराहट और तकलीफ महसूस होती होगी। मेडिकल साइंस में इसे “ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम” (Broken Heart Syndrome) कहा जाता है।
आपको बता दें, डॉक्टरों का कहना है कि हार्टब्रेक सिंड्रोम (Broken Heart Syndrome) सिर्फ तभी नहीं होता जब दो प्रेमी अलग हो जाते हैं। यह परेशानी किसी प्रियजन की मृत्यु, कार दुर्घटना, बड़ी आर्थिक हानि, गंभीर बीमारी या बुरी खबर मिलने के कारण भी हो सकती है। डॉक्टर्स इसे बेहद गंभीर मानते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम एक कम समय तक होने वाली समस्या है। यह समस्या किसी भी तकलीफदेह घटना से शुरू हो सकती है।
हम आपको बता दें कि यदि आपका दिल पिछले कुछ हफ्तों में टूट रहा है और आप इसे लेकर असहज महसूस कर रहे हैं, तो आप अकेले नहीं हैं। आपका दर्द और पीड़ा आपके साथ है। यह स्थिति गंभीर शारीरिक या भावनात्मक तनाव से भी पैदा हो सकती है। यह प्यार में दिल टूटने से होने वाला भावनात्मक या शारीरिक तनाव है। डॉक्टर्स इसे बेहद गंभीर मानते हैं। यदि किसी करीबी से अपनी भावनाओं को साझा करने के बाद भी दर्द कम नहीं होता है, तो डॉक्टर को दिखाना सबसे अच्छा है।
आपको बता दें, जब भी आपको ऐसी कोई घटना की खबर मिले जो तकलीफ देने वाली हो और जो आपके तनाव को बढ़ा सकती हैं, तो इसका सीधा असर आपके दिल और दिमाग दोनों पर पड़ता है। मन शरीर को इस अवस्था से बाहर लाने की कोशिश करता है। यदि तनाव बहुत अधिक हो जाता है, तो हृदय के बाएं वेंट्रिकल के एक हिस्से की मांसपेशियां कुछ समय के लिए काम करना बंद कर देती हैं। इससे उस हिस्से में खून का बहाव कम हो जाता है। रक्त वाहिकाओं के सिकुड़ने के कारण पूरे शरीर में पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं पहुँच पाता है। इस स्थिति को ही ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम कहा जाता है। ऐसे में दिल के साथ-साथ पूरे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। अगर ऐसी स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो दिल का दौरा भी पड़ सकता है।
पैनिक सिंड्रोम के कारण सीने में दर्द, चक्कर आना, अधिक पसीना आना, साँस लेने में तकलीफ, लो ब्लड प्रेशर, अनियमित दिल की धड़कन जैसी समस्याएँ होती हैं। वहीं, कुछ लोगों को पीठ में कहीं दर्द और बेचैनी भी महसूस होती है। ऐसे में बेहतर होगा कि आप तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। इसके लिए आपको कोई भी घरेलू उपचार करने से बचना चाहिए। यह जीवन के लिए खतरा हो सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक, ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के कारण रक्त वाहिकाएँ संकरी हो जाती हैं। दूसरी ओर, दिल के दौरे में रक्त वाहिकाओं में रक्त के थक्कों या किसी अन्य कारण से रुकावट आ जाती है।