Karwa Chauth 2018 on 27 October: जानिए करवा चौथ की सरगी का महत्व

Karwa Chauth 2018 on 27 October Sargi: करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता है. इस साल 27 अक्टूबर शनिवार 2018 को करवाचौथ का व्रत पड़ा रहा है. करवा चौथ के दिन सुबह 4 बजे के के आसपास सास अपनी बहू को एक खास भेंट देती हैं, जिसे सरगी कहते है. सुबह 4 बजे सरगी खाने के बाद ही व्रत शुरु होता है. सरगी की थाली में पांच से सात प्रकार के पकवान होते है जैसे मिठाई, मठरी, फल, ड्राई फ्रूट्स आदि

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Karwa Chauth 2018 on 27 October: जानिए करवा चौथ की सरगी का महत्व

Aanchal Pandey

  • October 25, 2018 4:38 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. Karwa Chauth 2018 on 27 October Sargi: करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है. सुहागन महिलाओं के लिए ये व्रत बहुत ही खास होता है. करवाचौथ का व्रत इस साल 27 अक्टूबर शनिवार 2018 को है. करवा चौथ के दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जल व्रत करती हैं. करवा चौथ पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. करवा चौथ के दिन सुबह 4 बजे के के आसपास सास अपनी बहू को एक खास भेंट देती हैं, जिसे सरगी कहते हैं. ये करवा चौथ के दिन खाते है, साथ ही सास अपनी बहू को आशीर्वाद देती है. बता दें कि व्रत रखने से पहले 4 बजे के आसपास सुहागन महिलाएं सरगी खाती है ताकि पूरे दिन उन्हें ऊर्जा मिल सकें. सरगी ग्रहण करने के बाद से ही करवा चौथ का व्रत प्रारंभ हो जाता है इसके बाद पूरे दिन निर्जल व्रत रखा जाता है.

सरगी की थाली में पांच से सात प्रकार के पकवान होते है जैसे मिठाई, मठरी, फल, ड्राई फ्रूट्स, आदि इसके अलावा सरगी में कपड़े और गहने भी होते है. साथ ही सास अपनी बहू को श्रंगार की थाली देती है जिसमें मेंहदी, चूड़ी और बिंदी होती है. सास अपनी बहू को सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद देती है. यह दिन सुहागन महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता है. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर भी काफी खुश रहती हैं.

करवा चौथ के दिन चंद्रमा के उदय होने के बाद ही पूजा कर व्रत का समापन होता है. करवा चौथ के दिन महिलाएं दिन में सौलह श्रंगार करती है. उसके बाद कई महिलाए एक साथ मिलकर पूजा करती है. करवा माता की पूजा करते समय कहानी सुनाई जाती है. कथा को सुनने के बाद महिलाएं अपनी अपनी थाली धुमाती है. कथा सुनने के बाद रात को चंद्रमा की पूजा की जाती है. चंद्रमा की पूजा में पहले चांद को छ्न्नी में से देखा जाता है, फिर उसकी आरती की जाती है और फिर पति को देखकर उनकी आरती की जाती है. इसके पति के द्वारा पानी पिला कर व्रत खोला जाता है.

https://youtu.be/oeGXEVF67_8

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