नई दिल्ली. 1 मई को देशभर में मजदूर दिवस मनाया जाता हैं. इस दिन देशभर की कंपनियों में छुट्टी रहती हैं. मजदूर दिवस कामकाजी लोगों के सम्मान के लिए मनाया जाता है. कहा जाता है कि किसी भी देश के विकास के पीछे सबसे बड़ा हाथ मजदूरों का होता है. ऐसे में मजदूरो को सही वेतन और सम्मान मिलना चाहिए. मजदूर दिवस भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता हैं.
मजदूर दिवस की शुरुआत अमेरिका के शिकागो में 1 मई 1886 में हुई थी. इस दिन अमेरिका के लाखों मज़दूरों ने 8 घंटे काम की मांग को लेकर एक साथ हड़ताल शुरू की थी. अमेरिका के हजारो मजदूर ने इस हड़ताल में हिस्सा लिया था. मजदूरो की इस हड़ताल में कई मजदूरों की जान चली गई थी. कई मजदूरो के खून बहाने के बाद ही लोगों को उनका हक मिला था. दरअसल हडताल के दौरान शिकागो के मार्केट में विस्फोट हो गया था जिसके बाद पुलिस ने मजदूरो पर गोली चाली और कई मजदूरो की जान चली गई
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इस घटना के बाद मजदूरो ने हड़ताल को रोका नहीं बल्कि अपने हक के लिए अपने हड़ताल को जारी रखा. मजदूरो ने धरना कर अपना वेतन बढ़ाने और काम के घंटे कम करने का दवाब बनाना शुरु किया. उस समय मजदूरो के 12 घंटे काम करना पड़ता था. फैक्ट्रियों में बच्चों के साथ बहुत ही शोषण किया जाता था. मजदूरो से मुश्किल हालातो में काम करवाया जाता था.
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भारत में मजूदर दिवस की शुरुआत 1 मई 1923 को हुई है. भारत में लेबर किसान पार्टी ने मजदूर दिवस की शुरुआत की थी. मजदूर दिवस को लेबर डे, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में भी जाना जाता है. लेबर डे के मौके पर दुनिया के 80 से अधिक देशों में छुट्टी होती है. लेबर डे की शुरुआत बच्चों के लिए बढ़ते शोषण को रोकने के लिए भी किया गया था.
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