नई दिल्ली। भागदौड़ भरी जिंदगी में रोजमर्रा के छोटे-छोटे तनाव लेना कभी – कभी अच्छा होता है। बता दें , इससे दिमाग युवा बना रहता है और वृद्धावस्था बेहतर तरीके से गुजारने में मदद मिलती है। हाल ही में हुई एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि इससे पहले 1990 के दशक में […]
नई दिल्ली। भागदौड़ भरी जिंदगी में रोजमर्रा के छोटे-छोटे तनाव लेना कभी – कभी अच्छा होता है। बता दें , इससे दिमाग युवा बना रहता है और वृद्धावस्था बेहतर तरीके से गुजारने में मदद मिलती है। हाल ही में हुई एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि इससे पहले 1990 के दशक में इस तरह के तनाव को सेहत के लिए बहुत हानिकारक माना जाता था, लेकिन पहली बार फिरदौस डाभर नाम के एक अमेरिकी मनोचिकित्सक ने न्यूयॉर्क की रॉकफेलर यूनिवर्सिटी के एक रिसर्चर के साथ इस संबंध में स्टडी की थी , जहां से ये पता चला की स्ट्रेस कभी – कभी जरुरी भी होता है और इम्यूनिटी भी बढ़ता है ।
बता दें , छोटे-छोटे तनाव हमारे इम्यून सिस्टम पर सकारात्मक असर भी डालते हैं। जानकारी के मुताबिक , आधुनिक दुनिया के लिए छोटे-छोटे तनाव बेहद जरूरी होते हैं। उदाहरण के लिए किसी एथलीट को आगामी दौड़ को लेकर थोड़ा तनाव लेना भी जरूरी है। रिपोर्ट के मुताबिक , इससे हृदय और मांसपेशियों को मजबूती भी मिलती है और प्रदर्शन में बेहद सुधार आता है। अगर बात करे हल्के शारीरिक व मानसिक तनाव की तो दोनों से रक्त में इंटरल्यूकिन नामक रसायन बनता है, जोकि इम्युन सिस्टम को सक्रिय करता है। यह संक्रमण से लड़ने में मददगार साबित होता है ।
रिपोर्ट के अनुसार , दिमाग का आकार 40 साल के बाद एक दशक में लगभग 5% की दर से घटता जाता है। बता दें , 70 की उम्र के बाद गिरावट की दर तेज़ी से बढ़ जाती है।गौरतलब है कि , दिमाग की यह सिकुड़न ऐसे बुजुर्ग में 4 साल तक कम हो जाती है जो नियमित व्यायाम करते रहते हैं।
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