नई दिल्ली: श्वसन रोग जो फेफड़ों और श्वसन तंत्र के अन्य भागों को प्रभावित करता है। श्वसन रोग संक्रमण, तम्बाकू धूम्रपान, या निष्क्रिय तम्बाकू के धुएं, रेडॉन, एस्बेस्टस या वायु प्रदूषण के अन्य रूपों में सांस लेने के कारण हो सकता है. श्वसन संबंधी बीमारियों में अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), पल्मोनरी फाइब्रोसिस, निमोनिया और फेफड़ों का कैंसर शामिल हैं.
इसे फेफड़े का विकार और फुफ्फुसीय रोग भी कहा जाता है. श्वसन रोग के खतरे को बढ़ाने वाले कारकों में तंबाकू धूम्रपान, वायु प्रदूषण, एलर्जी और व्यावसायिक जोखिम शामिल हैं. बाहरी वायु प्रदूषण और इनडोर वायु प्रदूषण भी सामान्य कारण हैं. आजकल बढ़ते प्रदूषण के कारण कम उम्र के लोगों में भी सांस संबंधी गंभीर बीमारियां देखने को मिल रही हैं. कोरोना संक्रमित लोग भले ही ठीक हो गए हों लेकिन आज भी उन्हें बदलते मौसम के साथ सांस की गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है.
सांस की बीमारी होने पर अस्थमा, निमोनिया, टीबी आदि के कारण समस्या बढ़ जाती है. आप अपने खान-पान की आदतों में बदलाव और कुछ चीजों का परहेज करके सांस की समस्याओं से राहत पा सकते हैं. आइये जानते हैं यहां सांस के मरीजों को कौन सी चीजें नहीं सेवन करनी चाहिए.
मूंगफली- सांस के मरीज को ज्यादा मूंगफली नहीं खाना चाहिए. कई बार मूंगफली से भी एलर्जी होने लगती है. अस्थमा भी एलर्जी के कारण हो सकता है. वहीं तो ऐसे में आप मूंगफली का सेवन न के ही बराबर करें, बल्कि किसी भी चीज का सेवन करने से पहले ये जरूर पता करें कि वह नुकसानदायक तो नहीं है.
दूध- वैसे तो दूध बहुत फायदेमंद होता है लेकिन अस्थमा के मरीजों के लिए ये हानिकारक माना जाता है. कई बार सांस के मरीजों को दूध पीने के बाद खांसी, गले में खराश और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. इसलिए दूध का सेवन न ही करें तो बेहतर है।
नमक- हमेशा कहा जाता है कि किसी भी चीज की अधिक मात्रा सेहत के लिए खराब साबित होती है. उसी तरह ज्यादा नमक भी शरीर को नुकसान पहुंचाता है. नमक के सेवन से गले में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है.