नई दिल्ली: क्या आपकी जिंदगी में हर काम उबाऊ लगने लगा है या आप हर वक्त थके हुए और तनाव में महसूस करते हैं? अगर हां, तो ये संकेत बर्नआउट सिंड्रोम हो सकते हैं। बर्नआउट सिंड्रोम, एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपने काम में दिलचस्पी खो देता है और लगातार स्ट्रेस से जूझता रहता है। यह स्थिति लंबे समय तक एक जैसे कामकाजी रूटीन के कारण हो सकती है.
WHO की मानें, तो बर्नआउट सिंड्रोम “क्रोनिक वर्कप्लेस स्ट्रेस” का परिणाम है, जिसमें व्यक्ति काम को लेकर अत्यधिक तनाव महसूस करता है। तो आइए जानते हैं इसके कारण, इसके लक्षण और इससे बचने के उपाय।
बर्नआउट सिंड्रोम में व्यक्ति काम को लेकर उदासीन महसूस करता है और उसकी कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है। इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:
1. काम में दिलचस्पी का खत्म होना और थका हुआ महसूस करना।
2. जॉब के प्रति नकारात्मक विचार आना।
3. हर काम में बोरियत और सिरदर्द का अनुभव होना।
4. डेडलाइन से काम पूरा न कर पाना और टारगेट से दूर रहना।
विशेषज्ञों के अनुसार, वर्कप्लेस पर अत्यधिक दबाव, किसी साथी से मतभेद या जॉब से जुड़ी चुनौतियों के कारण व्यक्ति अपने काम से संतुष्ट नहीं रह पाता। लंबे समय तक तनाव का सामना करने से व्यक्ति बर्नआउट का शिकार हो सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, मानसिक तनाव के दौरान हमारे दिमाग का “लॉकस कोर्यूलियस” हिस्सा काम की गति को नियंत्रित करने में असफल हो जाता है, जिससे स्ट्रेस बढ़ने लगता है।
इससे व्यक्ति की क्रिएटिविटी घटने लगती है, काम की गुणवत्ता गिरने लगती है और उसकी उत्पादकता पर असर पड़ता है। लंबे समय तक बर्नआउट से व्यक्ति के विचार करने की क्षमता भी कमजोर होने लगती है।
1. काम और निजी जीवन में संतुलन बनाएं, खुद को प्राथमिकता दें।
2. ऑफिस का काम घर न लाएं ताकि रिश्तों में दरार न आए।
3. मनपसंद एक्टिविटी में समय बिताएं।
4. परिवार और दोस्तों के साथ अधिक समय बिताएं।
5. पर्याप्त नींद लें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लें।
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