नई दिल्ली : कई बार आपके बच्चे भी समय से पहले प्यार और आकर्षण में पड़ सकते हैं. ऐसा होना एक आ बात है. आज के समय में बच्चे ऐसे माहौल से भी घिरे हैं जहां वह अपने विचारों को लेकर अधिक खुलापन रखते हैं. इस स्थिति में पैरेंट्स और माता-पिता की जिम्मेदारी भी बढ़ […]
नई दिल्ली : कई बार आपके बच्चे भी समय से पहले प्यार और आकर्षण में पड़ सकते हैं. ऐसा होना एक आ बात है. आज के समय में बच्चे ऐसे माहौल से भी घिरे हैं जहां वह अपने विचारों को लेकर अधिक खुलापन रखते हैं. इस स्थिति में पैरेंट्स और माता-पिता की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है. आज हम आपको ऐसी ही स्थिति में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इस बात की सलाह देने वाले हैं.
अगर आपके बच्चे का भी छोटी उम्र में किसी और के साथ अफेयर है तो आपको सावधान होने की जरूरत है. ऐसे में आपको स्थिति को सही ढंग से नियंत्रित करना चाहिए. हाल ही में बेंगलुरू में एक मामला सामने आया था. इस मामले में एक 15 वर्षीय लड़की ने अपने 19 साल के ब्वॉयफ्रेंड के साथ मिलकर पिता का मर्डर कर दिया था. मर्डर का कारण माता-पिता को लड़की का रोमांटिक रिलेशनशिप पसंद ना होना था. इसी तरह के कई मामले आते रहते हैं जिसमें कई बार तो टीनेजर कपल खुदकुशी जैसा कदम उठा लेते हैं. तो सवाल ये है कि पैरेंट्स को क्या करना चाहिए?
कई बार बच्चों को माता -पिता के सपोर्ट की जरूरत होती है लेकिन उनके गुस्से और बेरुखी की वजह से उनका बच्चा उनसे डरने लगता है या तो उनसे दूर चला जाता है. अपने बच्चों के रिलेशनशिप के बारे में जानने पर आपको उनकी भी परिस्थिति समझने की जरूरत है.
जब बच्चे के रिलेशनशिप के बारे में पता चलें तो बच्चे के रिलेशनशिप को मंजूरी देना काफी मुश्किल हो सकता है. लेकिन ऐसी स्थिति में सीधा इनकार करने की बजाय आप अलग रास्ता ले सकते हैं.
– इसके लिए किसी से बात करें.
– अपने दिमाग को शांत करें ताकि आप चीजों को समझ सकें.
-सीधा बच्चे पर गुस्सा करने के बजाय अपने पार्टनर से बात करें या किसी ऐसे से जो आपके बच्चे को जानता है और समझदार है.
आपको अपने बच्चे की फीलिंग्स को समझने की जरूरत है. माता-पिता होने के नाते आपको ये समझना जरूरी है कि आपका बच्चा प्यूबर्टी के दौर से गुजर रहा है. इस समय शरीर में होने वाले बदलावों को समझना काफी जरूरी होता है. आमतौर पर लोग प्यूबर्टी के दौरान बच्चे के शरीर में होने वाले फिजिकल बदलावों के बारे में सब बताते हैं लेकिन उन्हें इस बारे में नहीं बताते हैं कि आखिर उन्हें अपने भावों को कैसे कण्ट्रोल करना है.
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