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लंग्स कैंसर की वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू, जानें कब तक मिलेगी ये राहत

नई दिल्ली: फेफड़ों के कैंसर से लड़ाई में दुनिया की पहली वैक्सीन जल्द ही आ सकती है। इस लंग कैंसर वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है। इस वैक्सीन का नाम BNT116 है, जिसे बायोएनटेक (BioNTech) कंपनी बना रही है। यह वैक्सीन खासतौर पर नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) के इलाज के लिए तैयार की जा रही है। BNT116 के पहले फेज का ट्रायल यूके, यूएसए, जर्मनी, हंगरी, पोलैंड, स्पेन और तुर्की की 34 साइटों पर किया जा रहा है।

फेफड़ों के कैंसर से दुनियाभर में हो रहीं लाखों मौतें

फेफड़ों का कैंसर, कैंसर से होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण है। हर साल करीब 18 लाख लोग इस बीमारी के कारण जान गंवा देते हैं। इस वैक्सीन के आने से कैंसर के मरीजों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। आइए जानते हैं इस वैक्सीन के बारे में विस्तार से।

कैसे हो रहा है लंग कैंसर वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल

ब्रिटेन में इस वैक्सीन का पहला डोज मंगलवार को एक मरीज को दिया गया। ब्रिटेन के लगभग 130 मरीजों को, जो फेफड़ों के कैंसर के अलग-अलग चरणों में हैं, इम्यूनोथेरेपी के साथ BNT116 वैक्सीन दी जा रही है। इस वैक्सीन में कोविड-19 वैक्सीन की तरह mRNA टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जो इम्यून सिस्टम को ट्यूमर के मार्करों को टारगेट करने में मदद करता है। यह वैक्सीन हेल्दी कोशिकाओं को छोड़ते हुए, कैंसर सेल्स को खत्म करने पर फोकस करेगी।

पहला ट्रायल: ब्रिटेन के 67 साल के मरीज को मिला डोज

लंदन के 67 वर्षीय एआई वैज्ञानिक जानुस रैज इस वैक्सीन के पहले मरीज बने। मई में उनका फेफड़ों के कैंसर का पता चला था, जिसके बाद कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी शुरू हुई। उन्होंने इलाज के लिए इस ट्रायल में हिस्सा लेने का फैसला किया। रैज को 6 इंजेक्शन दिए गए, जिनमें से हर एक में अलग-अलग RNA स्ट्रैंड थे। उन्हें 6 हफ्ते तक हर हफ्ते इंजेक्शन दिया जाएगा और उसके बाद एक साल तक हर तीन हफ्ते में इलाज चलेगा।

डॉक्टर्स क्या कहते हैं

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन हॉस्पिटल्स (UCLH) के प्रोफेसर सियो मिंग का कहना है, “फेफड़ों के कैंसर के इलाज के लिए mRNA-बेस्ड इम्यूनोथेरेपी के साथ हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं।” प्रोफेसर मिंग, जो यूके में इस ट्रायल का नेतृत्व कर रहे हैं, ने बताया कि इस वैक्सीन का मकसद सर्जरी और रेडियोथेरेपी के बाद भी कैंसर को वापस आने से रोकना है। उन्होंने कहा, “मैंने 40 साल तक फेफड़ों के कैंसर का अध्ययन किया है। 1990 के दशक में कीमोथेरेपी को लेकर संदेह था, लेकिन अब हम जानते हैं कि स्टेज 4 के 20-30% मरीज इम्यूनोथेरेपी से बच जाते हैं। उम्मीद है कि mRNA वैक्सीन इन आंकड़ों को और बेहतर करेगी।”

यह ट्रायल यूके के नए NHS मैचमेकिंग प्लान का हिस्सा है, जिसमें मरीजों को नए कैंसर वैक्सीन ट्रायल में तेजी से शामिल किया जा रहा है। इससे मरीजों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है।

 

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Anjali Singh

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