हर कोई चाहता है कि उसके बाल मुलायम और चमकदार दिखें। इसी कारण आजकल लोग तरह-तरह के हेयर ट्रीटमेंट अपनाने लगे हैं। ब्यूटी इंडस्ट्री
नई दिल्ली: हर कोई चाहता है कि उसके बाल मुलायम और चमकदार दिखें। इसी कारण आजकल लोग तरह-तरह के हेयर ट्रीटमेंट अपनाने लगे हैं। ब्यूटी इंडस्ट्री में नए-नए हेयर स्ट्रेटनिंग ट्रेंड्स तेजी से बढ़ रहे हैं। पहले, परंपरागत स्ट्रेटनिंग में फॉर्मेलिन (ब्राजीलियन ब्लोआउट) का इस्तेमाल होता था, जिसे सेहत के लिए खतरनाक माना गया। इसके बाद ग्लाइकोलिक एसिड जैसे विकल्प सामने आए। सैलून में सिल्की और स्ट्रेट बाल पाने के लिए अक्सर केराटिन ट्रीटमेंट का इस्तेमाल किया जाता है।
हाल ही में इज़राइल की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि हेयर स्ट्रेटनिंग में इस्तेमाल होने वाले केमिकल, खासकर ग्लाइकोलिक एसिड, किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। 2019 से 2022 के बीच 14 केंद्रों से एक्यूट किडनी इंजरी (AKI) के 26 मामले सामने आए। ये सभी मरीज 20 से 30 साल की महिलाएं थीं, जिनमें से तीन को डायलिसिस तक की जरूरत पड़ी।
डॉक्टर्स के मुताबिक, जब ग्लाइकोलिक एसिड हमारी त्वचा से होकर रक्त में जाता है, तो यह ग्लाइऑक्सीलेट में बदल जाता है। यह ग्लाइऑक्सीलेट किडनी में ऑक्सालेट क्रिस्टल बनाता है, जो किडनी के लिए जहरीला होता है। इससे किडनी के टिश्यूज में कैल्शियम ऑक्सालेट जमा हो जाता है, जिससे किडनी सही तरीके से काम नहीं कर पाती। अगर इस समस्या को समय पर नहीं पहचाना गया, तो स्थिति गंभीर हो सकती है और डायलिसिस तक की जरूरत पड़ सकती है।
हेयर स्ट्रेटनिंग के बाद यदि आपको स्कैल्प में जलन, खुजली या अल्सर जैसी समस्याएं होती हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें। यह किडनी से जुड़ी समस्या का शुरुआती संकेत हो सकता है। समय पर जांच और इलाज से इस खतरे को कम किया जा सकता है।
सुंदर और स्ट्रेट बाल पाने की चाहत में अपनी सेहत से समझौता न करें। हेयर स्ट्रेटनिंग ट्रीटमेंट लेने से पहले इसके साइड इफेक्ट्स के बारे में जरूर जानकारी लें और सुरक्षित विकल्प चुनें।
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