नई दिल्ली: ठंड के मौसम में हार्ट अटैक की घटनाएं बढ़ जाती हैं, और इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण होते हैं। ठंड में शरीर की नसें सिकुड़ जाती हैं, जिससे खून का प्रवाह धीमा हो सकता है। इसके कारण दिल को खून पहुंचाने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इस वजह से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
ठंड के समय में रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) भी बढ़ जाता है। सर्दी में रक्तचाप बढ़ने से दिल पर दबाव अधिक होता है। इससे हार्ट अटैक का खतरा काफी बढ़ जाता है। ठंड के मौसम में हाइपरटेंशन के मरीजों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
ठंड के दिनों में अधिकतर लोग कम शारीरिक गतिविधि करते हैं और घर के अंदर ही रहना पसंद करते हैं। इस वजह से शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण दिल के रोगों का खतरा बढ़ता है, जो हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।
ठंड के मौसम में हमारी भोजन की आदतों में भी बदलाव आता है। अधिक वसा और मसालेदार भोजन की ओर रुझान बढ़ता है, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है। जब खून में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है, तो धमनियों में रुकावट पैदा हो सकती है, जिससे हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।
सर्दी के मौसम में डिप्रेशन और तनाव बढ़ने की संभावना अधिक होती है, जिसे ‘सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर’ कहते हैं। यह मानसिक तनाव दिल की सेहत पर भी असर डालता है और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाता है।
1. शारीरिक गतिविधि बनाए रखें: ठंड के बावजूद रोज़ाना हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करना जरूरी है।
2. स्वस्थ आहार: वसा और कोलेस्ट्रॉल युक्त खाद्य पदार्थों से बचें और स्वस्थ आहार का सेवन करें।
3. तनाव कम करें: ठंड के मौसम में मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें और तनाव को कम करने के प्रयास करें।
4. सही कपड़े पहनें: ठंड से बचने के लिए उचित कपड़े पहनें ताकि शरीर गर्म रहे और खून का प्रवाह बेहतर बना रहे।
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