नई दिल्ली: आजकल की बिजी लाइफस्टाइल और खराब खान-पान की आदतों के कारण हार्ट की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। बाहर का खाना, फास्ट फूड, मानसिक तनाव, कम नींद और शारीरिक श्रम की कमी जैसे कारणों से हृदय रोगों के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। जो बीमारी पहले 60-70 की उम्र में […]
नई दिल्ली: आजकल की बिजी लाइफस्टाइल और खराब खान-पान की आदतों के कारण हार्ट की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। बाहर का खाना, फास्ट फूड, मानसिक तनाव, कम नींद और शारीरिक श्रम की कमी जैसे कारणों से हृदय रोगों के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। जो बीमारी पहले 60-70 की उम्र में होती थी, वो आज 30-40 की उम्र में भी आम हो रही हैं। कम उम्र में लोगों को हाई बीपी, हार्ट अटैक,कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में आयुर्वेद के मुताबिक इन नियमों को अपनाने से दिल(HEALTHY HEART) के रोगों का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। तो चलिए जानते हैं क्यया है वो नियम।
बता दें कि संतुलित भोजन दिल को स्वस्थ रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयुर्वेद के मुताबिक हमें अपने रोज के डाइट में हरे पत्तेदार सब्जियों, साबुत अनाज, ताजे फलों, दालों और नट्स जैसे सभी प्रकार के पौष्टिक तत्वों को शामिल करना चाहिए। इन सभी चीजों में विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट्स, मिनरल्स और फाइबर की भरपूर मात्रा होती हैं जो हृदय के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होती हैं और साथ ही अधिक नमक, वसा और चीनी का सेवन सीमित करना चाहिए क्योंकि ये हृदय रोगों का खतरा बढ़ा सकते हैं।
दिल को स्वस्थ रखने के लिए नियमित व्यायाम और शारीरिक गतिविधि बेहद जरूरी है। इस बात का आयुर्वेद में भी जोर दिया गया है। रोजाना व्यायाम और योग करने से दिल की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और रक्तसंचार को बेहतर बनाता है। इससे कम उम्र में ही दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। जॉगिंग, साइकिल चलाना, वॉकिंग, योगासन, प्राणायाम जैसी गतिविधियां(HEALTHY HEART) दिल के लिए बहुत ही फायदेमंद होती हैं।
बता दें कि डर, चिंता, अवसाद जैसी भावनाओं से दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं, यह खतरनाक साबित हो सकता है। इस दौरान आयुर्वेद में इन नकारात्मक भावनाओं से बचने और मानसिक शांति बनाए रखने का जोर दिया गया है। इसके अलावा परिवार और दोस्तों के साथ सकारात्मक समय बिताने से भी तनाव दूर रहता है।
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