एक नई स्टडी में यह चौंकाने वाला दावा किया गया है कि एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमावायरस) पुरुषों में बांझपन का कारण बन सकता है।
नई दिल्ली: एक नई स्टडी में यह चौंकाने वाला दावा किया गया है कि एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमावायरस) पुरुषों में बांझपन का कारण बन सकता है। इस वायरस के कारण स्पर्म की क्वालिटी और काउंट दोनों ही खराब हो सकते हैं। अर्जेंटीना की यूनिवर्सिडाड नेशनल डी कॉर्डोबा के शोधकर्ताओं ने पाया कि पुरुष एचपीवी संक्रमण के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं। इसके कारण उनमें जननांगों में मस्से, मुंह, गले और एनस से संबंधित गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या नपुंसकता की है, जो सीधे तौर पर प्रजनन क्षमता पर असर डाल सकती है।
फ्रंटियर्स इन सेलुलर एंड इंफेक्शन माइक्रोबायोलॉजी नामक मैगजीन में प्रकाशित इस स्टडी में बताया गया है कि उच्च जोखिम वाले एचपीवी जीनोटाइप्स से संक्रमित पुरुषों में ऑक्सीडेटिव तनाव (oxidative stress) और कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण स्पर्म की संख्या और गुणवत्ता घट सकती है। स्टडी के प्रमुख शोधकर्ता, प्रोफेसर डॉ. वर्जीनिया रिवेरोका का कहना है कि “एचपीवी संक्रमण पुरुषों में काफी आम है, और इसके कारण स्पर्म की क्वालिटी पर भी असर पड़ता है।” उन्होंने आगे कहा कि “उच्च जोखिम वाले एचपीवी जीनोटाइप्स से संक्रमित पुरुषों में प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। वहीं, महिलाओं में एचपीवी संक्रमण के कारण 95% मामलों में सर्वाइकल कैंसर का खतरा रहता है।”
द लांसेट मैगजीन में प्रकाशित एक अन्य स्टडी के अनुसार, 15 साल से ऊपर के 3 में से 1 पुरुष किसी न किसी रूप में एचपीवी से संक्रमित होते हैं। वहीं, 5 में से 1 पुरुष उच्च जोखिम वाले एचपीवी स्ट्रेन से प्रभावित होते हैं। इस नई स्टडी में अर्जेंटीना में 205 पुरुषों को शामिल किया गया, जिन्होंने 2018 से 2021 के बीच यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के कारण यूरोलॉजी क्लिनिक का दौरा किया था। इनमें से किसी ने भी एचपीवी वैक्सीन नहीं ली थी। स्टडी में पाया गया कि 29% पुरुष एचपीवी पॉजिटिव थे, जिनमें से 20% में उच्च जोखिम वाला एचपीवी और 7% में कम जोखिम वाला एचपीवी पाया गया।
स्टडी में यह भी बताया गया कि सीमेन की नियमित जांच में सामान्य क्वालिटी दिखाई दी। लेकिन जब स्पर्म का गहन परीक्षण किया गया तो पाया गया कि जिन पुरुषों में HR-HPV पॉजिटिव था, उनके सीमेन में CD45+ व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या कम थी। इसका मतलब यह है कि उनके शरीर में इम्यून रिस्पॉन्स कमजोर हो चुका था। इससे स्पर्म की गुणवत्ता और संख्या पर असर पड़ता है, जिससे प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है।
एचपीवी से बचाव के लिए पुरुषों को जागरूक होने की जरूरत है। सुरक्षित संबंध बनाएं और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराते रहें। अगर किसी को एचपीवी के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। एचपीवी का टीकाकरण भी एक सुरक्षित उपाय है, जिसे लेकर लोग अभी भी जागरूक नहीं हैं।
यह स्टडी इस बात का संकेत देती है कि पुरुषों में एचपीवी संक्रमण को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह न केवल प्रजनन क्षमता पर बुरा असर डाल सकता है, बल्कि गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है। इसलिए, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लेते रहें।
ये भी पढ़ें: क्या बैंकों के पास लोन बांटने के पैसे खत्म हो रहे हैं, SBI चेयरमैन ने दिया जवाब
ये भी पढ़ें: क्या IVF करवाने पर भी बच्चे होते हैं जेनेटिक बीमारियों से पीड़ित?