सारकोमा कैंसर एक रेयर और जानलेवा बीमारी है, जो शरीर के सॉफ्ट टिशूज या हड्डियों में शुरू होती है। यह शरीर के कनेक्टिव टिशूज को प्रभावित करता
नई दिल्ली: सारकोमा कैंसर एक रेयर और जानलेवा बीमारी है, जो शरीर के सॉफ्ट टिशूज या हड्डियों में शुरू होती है। यह शरीर के कनेक्टिव टिशूज को प्रभावित करता है, जिनमें नसें, रक्त वाहिकाएं, फैटी टिशूज, कार्टिलेज और टेंडन्स शामिल होते हैं। इस कैंसर का शुरुआती चरण में पता लगाना मुश्किल होता है, और इसलिए इलाज काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
डॉक्टरों के अनुसार, सारकोमा कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है, लेकिन यह सबसे ज्यादा सिर, गर्दन, चेस्ट, हाथ और पैरों में पाया जाता है। यह कैंसर धीरे-धीरे शरीर में फैलता है और गंभीर मामलों में प्रभावित अंग को काफी नुकसान पहुंचाता है। इलाज के लिए इसे सर्जरी के जरिए शरीर से बाहर निकाला जाता है।
सारकोमा के लक्षण इसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। सबसे आम लक्षणों में शरीर में गांठ का बनना और दर्द शामिल हैं। इसके अलावा, थकान, बुखार, बिना किसी कारण वजन कम होना, त्वचा में बदलाव और सूजन भी इसके लक्षण हो सकते हैं। कुछ मरीजों में त्वचा के नीचे दर्द रहित गांठ भी हो सकती है, जो धीरे-धीरे बढ़ती है।
सारकोमा कैंसर की पहचान अक्सर बहुत देर से होती है, जब यह शरीर के बड़े हिस्से को प्रभावित कर चुका होता है। इसकी वजह से इसका इलाज कठिन हो जाता है और कई बार कैंसर फैलने पर सर्जरी ही एकमात्र विकल्प रह जाता है। यही वजह है कि शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।
सारकोमा कैंसर से बचाव के लिए जरूरी है कि शरीर में किसी भी तरह की असामान्य गांठ या दर्द को हल्के में न लें। नियमित जांच और समय पर डॉक्टर से परामर्श करके इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है।
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