नई दिल्ली : आज के डिजिटल दौर में यहां लाइफ बहुत ही फास्ट हो गई है वहीं हमारी लाइफस्टाइ में बहुत से बदलाव भी आते हैं. जब हम घंटो तक स्क्रीन को लगातार देखते है तो आंखों पर ही नहीं बल्कि सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. वहीं वर्तमान में बच्चे बाहर खलने की […]
नई दिल्ली : आज के डिजिटल दौर में यहां लाइफ बहुत ही फास्ट हो गई है वहीं हमारी लाइफस्टाइ में बहुत से बदलाव भी आते हैं. जब हम घंटो तक स्क्रीन को लगातार देखते है तो आंखों पर ही नहीं बल्कि सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. वहीं वर्तमान में बच्चे बाहर खलने की तुलना में फोन चलाना अधिक पसंद करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं खेलना-कूदना बच्चों के लिए कितना आवश्यक होता है? ये सिर्फ बच्चों की फिजिकल हेल्थ ही नहीं बल्कि मेंटल हेल्थ के लिए भी बहुत जरूरी है.
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बाहर खेलने कूदने से बच्चे फिजिकली रूप से फिट रहते हैं, लेकिन बहुत से पेरेंट्स चोट लगने के डर से उन्हें खेलने की इज्जात नहीं देते हैं. वहीं खेलते समय अगर चोट लगती है तो यह सब चीज उन्हें मजबूत बनाती है. ये बच्चों के शारीरिक विकास के लिए भी बहुत जरूरी है.
इससे हमारे बच्चों के कम्युनिकेशन स्किल्स में भी सुधार होता है. दोस्तों के साथ बातचीत से बच्चों की पर्सनालिटी पर सकारत्मक प्रभाव पड़ता है . इससे बच्चों की हिचकिचाहट भी दूर होती है.
सोशल स्किल्स में भी सुधार होता है. वहीं हमारे बच्चे बातचीत करना सीखते। टीम के साथ रहकर किस तरह से काम करना है कि ये भी सीखते हैं . इससे बच्चे के बात करने के तरीके में भी सुधार होता है.
वहीं बच्चों की मेंटल हेल्थ के लिए बाहर खेलना- कूदना बहुत ही अच्छा होता है . ये बच्चों को तनाव मुक्त करता है . बच्चे खुश और हेल्दी रहते हैं . इससे बच्चों की मेंटस हेल्थ बेहतर होती है .
बच्चों का खेलना- कूदना उनकी पढ़ाई के लिए भी बहुत अच्छा होता है. इससे बच्चों में कड़ी मेहनत करनी की क्षमता में इजाफा होता है.
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