कॉर्पोरेट जीवन और शिफ्ट वर्किंग के चलते बहुत से लोग नाइट शिफ्ट में काम कर रहे हैं। हालांकि, यह सुविधा प्रदान करता है,
नई दिल्ली: कॉर्पोरेट जीवन और शिफ्ट वर्किंग के चलते बहुत से लोग नाइट शिफ्ट में काम कर रहे हैं। हालांकि, यह सुविधा प्रदान करता है, लेकिन इसके स्वास्थ्य पर गंभीर असर हो सकते हैं। हालिया रिसर्च में पता चला है कि नाइट शिफ्ट करने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। आइए जानें इसके कारण और इससे बचने के उपाय।
हाल के एक अध्ययन के अनुसार, नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा सामान्य महिलाओं की तुलना में तीन गुना अधिक होता है। रिसर्च के मुताबिक, रात में काम करने के कारण शरीर की आंतरिक घड़ी (बॉडी क्लॉक) प्रभावित होती है, जिससे कैंसर सेल्स का निर्माण होने लगता है और ब्रेस्ट में गांठें बनने लगती हैं।
रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुदर्शन डे के अनुसार, रात में जागने से शरीर में मेलाटोनिन नामक हार्मोन का स्तर कम हो जाता है। यह हार्मोन रात में सोने के दौरान बनता है और कैंसर से सुरक्षा में मदद करता है। जब आप रात में नहीं सोते, तो इस हार्मोन का निर्माण रुक जाता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। मेलाटोनिन कैंसर सेल्स के विकास को रोकने और ट्यूमर में विकास से बचाने में मदद करता है।
नाइट शिफ्ट के दौरान स्मोकिंग करने से भी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। कई लोग जागरूक रहने के लिए या नींद न आने के कारण स्मोकिंग करते हैं, लेकिन यह शरीर में कैंसर सेल्स के निर्माण को बढ़ावा देता है। स्मोकिंग से ब्रेस्ट कैंसर और अन्य प्रकार के कैंसर का जोखिम और बढ़ जाता है।
नाइट शिफ्ट और स्मोकिंग दोनों ही ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। अगर आप नाइट शिफ्ट में काम कर रहे हैं या स्मोकिंग की आदत है, तो अपनी जीवनशैली में बदलाव करना और स्वास्थ्य पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। अपनी बॉडी क्लॉक को सही बनाए रखने और रात में अच्छी नींद लेने से आप इस खतरे को कम कर सकते हैं।
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