Happy Valentine Day 2019 : वैलेंटाइन वीक शुरू हो चुका है. इस दिन अपने प्यार का दिन होता है. दुनिया के बहुत सारे देशों में ये दिन मनाया जाता है. इस दिन को लेकर लोगों और खासकर युवाओं को इस दिन का या कहे इस पूरे हफ्ते का बहुत ही बेसब्री से इंतजार रहता है.लेकिन भारत में ये मानसिकता है कि एक लड़का और लड़की ही इस दिन को मना सकते हैं. वेलेंटाइन डे प्यार करने का दिन होता है. मां-बेटे के साथ. भाई-बहन के साथ दोस्त अपने दोस्त के साथ इस दिन को मना सकते हैं. जिस रिश्ते में प्यार होता है वो इस दिन को मनाते है.
नई दिल्ली. वेलेंटाइन वीक शुरू हो चुका है और लोग इसका बेसब्री से इसका इंतजार करते है. वेलेंटाइन डे वीक 7 फरवरी से शुरू हो जाता है. पूरा एक हफ्ता इस दिन को त्योहार की तरह मनाया जाता है. ये सात दिन लोग धूम-धाम से मनाते हैं. वेलेंटाइन वीक हर दिन का अलग महत्व है. दुनिया के बहुत सारे देशों में ये दिन मनाया जाता है. इस दिन को लेकर लोगों और खासकर युवाओं को इस दिन का या कहे इस पूरे हफ्ते का बहुत ही बेसब्री से इंतजार रहता है. लेकिन भारत में ये मानसिकता है कि एक लड़का और लड़की ही इस दिन को मना सकते हैं. लेकिन वेलेंटाइन डे प्यार करने का दिन होता है. मां-बेटे के साथ. भाई-बहन के साथ दोस्त अपने दोस्त के साथ इस दिन को मना सकते हैं. जिस रिश्ते में प्यार होता है वो इस दिन को मनाते है. वेलेंटाइन डे की शुरुआत कहां से हुई आखिर क्या है इसके पिछे की वजह. आइए जानते है.
इसकी कहानी काफी पुरानी है इसकी शुरुआत 1260 में हुई थी. दरअसल, रोम में एक क्लॉडियस नाम का शासक हुआ करता था. उसकी सोच काफी अलग थी. उसका मानना था कि अगर एक महिला किसी पुरुष से शादी करती है तो उस पुरुष का दिमाग खत्म हो जाता है. इसके चलते उसने किसी से शादी न करने का फरमान जारी किया. इसी के चलते राजा का फरमान था कि उसके देश का कोई सैनिक या अधिकारी किसी भी महिला के साथ शादी के बंधन में नहीं बंध सकता है.
उसी देश में रहने वाली संत वैलेंटाइन को ये बात पसंद नहीं आई और उसने इसका विरोध किया. कई लोगों को शादी करने के लिए प्ररित किया. संत वैलेंटाइन के कड़े प्रयास के बाद कई सैनिक ने शादी कर ली. जिसके बाद राजा को ये बात गवारा नहीं हुआ और उसने वैलेंटाइन को फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया. इसी के बाद से पूरी दुनिया में संत वैलेंटाइन को याद करते हुए प्यार का दिन यानी वैलेंटाइन डे के रूप में मनाती है. बता दें कि संत वैलेंटाइन की इस कहानी का जिक्र सन् 1260 में संकलित किताब ‘ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन’ में किया गया है.