नई दिल्ली. हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि माना जाता है. सावन के पहले सोमवार के बाद से शिवरात्रि का खासा महत्तव होता है. शिवरात्रि के दिन महादेव के भक्त रात भर जागरण और शिवजी की पूजा करते हैं. साथ ही सुबह उठते ही स्नान करने के बाद भगवान शिव और शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाएगा. तो भगवान शिव के मंदिरों को भी पूरी तरह फूलों से सजाया गया है.
सावन का महीना लगते ही लाखों की संख्या में कावंड़िये भी शिव के दर्शन करने के लिए निकल चुके है. शिव भक्तों के लिए शिवरात्रि का दिन और भी ज्यादा खास हो गया हैं क्योंकि 9 अगस्त को गुरवार का दिन है और पुष्य नक्षत्र योग भी साथ में लग रहा है. शिवरात्रि, त्रयोदशी और गुरु पुष्य योग इन तीन के संयोग की वजह से इस साल का कारण श्रावण शिवरात्रि का महत्व और भी बढ़ गया है.
शिवरात्रि के दिन, ऐसा कहा जाता है कि भक्तों को शिव पूजा करने या मंदिर जाने से पहले शाम को दूसरा स्नान करना चाहिए. शिव पूजा रात के दौरान की जानी चाहिए और भक्तों को सूर्योदय के बीच स्नान करने और चतुर्दशी तीथी के अंत से पहले व्रत का अधिकतम लाभ प्राप्त करने के बाद अपना उपवास तोड़ना चाहिए. क्योंकि ज्यादातर भक्त इस दिन उपवास करते हैं, उपवास या व्रत विधि के लिए एक जरुरी प्रक्रिया भी है.
अगर आप भी भगवान शिव के महाभक्त हैं तो शिवरात्रि का महत्तव आपके और आपके परिवार के लिए बेहद खास होगा. इस दिन को और भी खास बनाने के लिए अपने दोस्तों के साथ साथ परिवार के बाकी सदस्यों और करीबी रिश्तेदारों को भगवान शिव से जुड़े खास संदेश भेजे व्हॉटसएप के जरिए.
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