Happy Holi 2020: मथुरा एंव वृंदावन में 3 मार्च को अष्टमी से होली महोत्सव की शुरुआत होगी. 3 मार्च से 10 मार्च तक चलने वाले त्योहार में अलग-अलग तरीके से होली महोत्सव मनाया जाता हैं जिससे चारों तरफ खुशियां का माहौल बना रहता है. भगवान श्रीकृष्ण को फूलों, रंगीन कपड़ो से श्रृंगार कर मोहीत किया जाता है.
नई दिल्ली. देशभर में होली का त्योहार 9-10 मार्च को मनाया जाएगा. होली की बात जब होती है तो बरसाने की होली को कोई कैसे भूल जाए. बरसाना की लठमार होली सबका मन मोह लेती है. लठमार होली श्रीकृष्ण नगरी में खेलने की सबसे पुरानी परंपरा है और खास बात है कि यह आज भी जीवंत है.
विदेशी सैलानी भी लठमार होली को काफी पसंद करते हैं इसलिए वे श्रीकृष्ण की भूमि यूपी के मथुरा आकर जमकर होली का त्योहार मनाते हैं. होली से पहले ही मथुरा एंव वृंदावन में तैयारियां अभी से जोरों शोरों पर है. मंदिरों पर होली का रंग छड सा गया है. मथुरा की होली एक महोत्सव की तरह मनायी जाती हैं. 3 मार्च से 10 मार्च तक चलने वाले त्योहार में अलग-अलग तरीके से होली महोत्सव मनाया जाता है.
बरसाना में सिर्फ होली खेलने का अर्थ त्योहार मनाना ही नहीं बल्कि उसके जरिए अपनी संस्कृति से जुड़े रहना और उसको बढ़ावा देना भी है जिससे देश के लोग सैंकड़ों साल पुरानी भारतीय परंपरा से रुबरु हो सकें. आइए जानते हैं ब्रज मंडल में कौनसी होली कब खेली जाएगी.
मथुरा एवं वृंदावन में इस परंपरा की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण की नटखठ लीलाओं से हुई थी. श्रीकृष्ण शुरु से ही अपनी लीलाओं के लिए जाने जाते थे. होली में उनकी लीलाएं ओर भी बढ़ जाती थी जब वे अपने सखाओं व राधे के साथ होली खेलते नजर आते थे. राधा उनकी सखियों के साथ श्रीकृष्ण व सखाओं से बचने के लिए लठ बरसाती थी और सखा ढाल का उपयोग कर बचते नजर आते थे.
इस तरह पता चलता है कि लठमार व छड़ी होली की परंपरा बहुत पुरानी हैं. लेकिन वर्तमान में लोग रंगो का उपयोग कर होली खेलते है और गानों पर नाचते नजर आते हैं. बदलते समय के साथ होली खेलने का तरीका भी बदल गया है लेकिन श्रीकृष्ण नगरी में आज भी अबीर, टेसू के फूलों से होली मनायी जाती हैं ताकि पुरानी परंपरा को जीवंत रखा जा सकें.
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