नई दिल्ली : अगर आप मांस का सेवन करते हैं और नहीं भी करते हैं तो आपने कभी न कभी झटका और हलाल जैसे शब्दों को जरूर सुना होगा. आपके मन में भी ये ख्याल आया होगा कि ये क्या मामला है? एक ही जानवर का मीट झटका भी है और हलाल भी. अगर आप […]
नई दिल्ली : अगर आप मांस का सेवन करते हैं और नहीं भी करते हैं तो आपने कभी न कभी झटका और हलाल जैसे शब्दों को जरूर सुना होगा. आपके मन में भी ये ख्याल आया होगा कि ये क्या मामला है? एक ही जानवर का मीट झटका भी है और हलाल भी. अगर आप भी इस असमंजस में हैं तो आज हम आपकी ये शंका दूर करने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं कि क्या है हलाल और झटका मीट?
आइए आपको बताते हैं कि आखिर एक ही प्रकार के मीट को अलग कैसे किया जाता है. और हलाह व गैर हलाल मीट में क्या अंतर है. बता दें, हलाल मीट को नहीं बल्कि मीट काटने के तरीके को कहा जाता है. इसके अनुसार जिस जीव का मीट है उसे मारते वक़्त झटका नहीं दिया गया है बल्कि उसे धीरे-धीरे काटा गया है. इससे जानवर के अंदर का सारा खून निकल जाता है. यह काफी दर्द भरी प्रक्रिया भी होती है. इस तरह के मीट को मुसलमान काफी अच्छा और यह उपभोग योग्य मानते हैं. यह एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ होता है उपभोग के योग्य.
वहीं दूसरी तरफ झटका मीट की बात करें तो इसमें मारने वाले जानवर को बिना तकलीफ के मारा जाता है. झटका में एक ही झटके में धारदार हथियार से जानवर की रीढ़ पर प्रहार कर उसे बिना दर्द के एक झटके में मारा जाता है. ये भी कहा जाता है कि झटका के समय जानवरों को मारने से पहले उनके दिमाग को शून्य कर दिया जाता है जिससे उसे दर्द ना हो.
कौन सा मीट होता है बेहतर?
विशेषज्ञों की मानें तो हलाल प्रक्रिया में जानवरों को धीरे-धीरे मारने से उनके शरीर में मौजूद पूरा खून निकल जाता है जो इसे झटका की तुलना में अधिक पोषक बनाता है. हलाल करने से जानवरों का खून पूरी तरह से निकलता है. जिस कारण उनके शरीर में मौजूद बीमारी भी खत्म हो जाती है. वैज्ञानिक इस गोश्त को ही खाने योग्य मानते हैं.
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