नई दिल्ली : मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्व रखता है जितना की शारीरिक विकास. भारतीय समाज में वर्तमान में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों में सतर्कता देखी जा रही है. बड़े स्तर पर भी लोग मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर बात कर रहे हैं. लेकिन बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य या मेंटल हेल्थ का मुद्दा […]
नई दिल्ली : मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्व रखता है जितना की शारीरिक विकास. भारतीय समाज में वर्तमान में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों में सतर्कता देखी जा रही है. बड़े स्तर पर भी लोग मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर बात कर रहे हैं. लेकिन बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य या मेंटल हेल्थ का मुद्दा कहीं न कहीं अभी भी छूटा हुआ है. ऐसे भी माता पिता है जो अपने बच्चों की मेंटल हेल्थ को सकारात्मक बनाएं रखने के लिये अपना पूर्ण सहयोग देते हैं. आज हम आपको कुछ ऐसी बातें बताने जा रगे हैं जिन्हें आपको बतौर माता-पिता अपने वच्चे की अच्छी मेंटल हेल्थ बनाए रखने के लिये नहीं करना है.
आज का हमारा समाज बच्चों पर हर क्षेत्र में बहुत अच्छा परफॉर्म करने पर दबाव बना रहा है. इतना ही नहीं केवल कुछ करियर स्ट्रीम को ही अच्छा माना जाता है. ये मानसिकता समाज को संकीर्ण सोच वाली पैरेंटिंग अप्रोच की ओर ले जा रही है. बच्चों के पास ही अपना कैरियर चुनने के अवसरों पर ताला लगा दिया जा रहा है ऐसे में बच्चे अपना आत्मविश्वास खो देते हैं. इट्ज़ा ही नही उस स्थिति में बच्चा डिप्रेशन और स्ट्रेस से पीड़ित हो सकता है, और जिस स्ट्रीम में वो एनरोल्ड (नामांकन) हैं, उसमें भी उसका इंट्रस्ट खत्म होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
जब आप अपने बच्चों का माइक्रोमैनेजमेंट करते हैं, जिसका अर्थ है उनकी सभी समस्याओं को खुद सुलझाना तो इससे उन्हें एक तरह से हर समस्या का समाधान चम्मच से खिलाया जाता है. ऐसा करने से बच्चों में किसी भी समस्या को सुलझाने की मानसिकता क्षमता अच्छे से विकसित नही हो पाती जिस कारण बच्चे अपने माता-पिता पर निर्भर हो जाते हैं और अपने दम पर खड़े होने पर उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. एक वक्त ऐसा आता है कि बुद्धिमान होने के बावजूद, वो अपनी भावनात्मक अपरिपक्वता को संभाल नही पाते. ऐसे में बतौर पेरेंट्स आपका कर्तव्य है कि आप अपने बच्चों को आत्मनिर्भर होना सिखाएं.
ऐसा हमने कई बार देखा है कि कभी-कभी पेरेंट्स अपने बच्चों पर बहुत ज्यादा कंट्रोल करने लगते हैं. माता-पिता अपने बच्चों के लिए सभी शर्तों को निर्धारित करने लगते हैं और उन्हें उनके चुनावों में भी फ्रीडम नहीं देते हैं. कई बार पैरेंट्स बच्चों को डराने-धमकाने लगते हैं कि ये व्यवहार नियम तोड़ने पर उन्हें सजा मिलेगी. ऐसे में बच्चे अपना आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास खो देते हैं. उनमें एंग्जाइटी बढ़ जाती है. ध्यान रहे बच्चों को हमेशा प्यार देना या हमेशा डांटना दोनो ही हानिकारक है.
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