नई दिल्ली: त्योहारों का समय नजदीक आते ही बाजारों में मिठाई की मांग बढ़ जाती है। इस बढ़ती मांग को देखते हुए मावा (खोया) की खपत में भी तेजी आती है। इसी का फायदा उठाकर कई जगहों पर नकली मावा बेचा जाने लगा है। नकली मावा स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए असली और नकली मावे की पहचान करना जरूरी हो जाता है। आइए जानते हैं कि कैसे असली और नकली मावे की पहचान की जा सकती है।
नकली मावा बनाने के लिए दूध में स्टार्च, आलू का पाउडर, मैदा, या सिंथेटिक दूध का इस्तेमाल किया जाता है। ये चीजें दिखने में मावे जैसी लगती हैं लेकिन इनका सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। नकली मावा खाने से पेट की बीमारियाँ, अपच और कई बार फूड प्वाइजनिंग जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
1. उंगली पर घिसकर देखें: असली मावा उंगली पर रगड़ने से चिकना महसूस होता है और हाथों में तेल छोड़ता है, जबकि नकली मावा सूखा रहता है और उसमें चिकनापन महसूस नहीं होता।
2. पानी में घुलनशीलता की जाँच: एक छोटे टुकड़े को पानी में डालें। असली मावा पानी में घुलता नहीं है, जबकि नकली मावा पानी में थोड़ा घुल सकता है और इसमें स्टार्च घुलने लगता है।
3. आग पर जला कर देखें: मावे का एक छोटा टुकड़ा लेकर जलाएं। असली मावा जलने पर काले रंग की राख बनाता है, जबकि नकली मावा जलते समय तेज गंध और सफेद या हल्के भूरे रंग की राख छोड़ता है।
4. आयोडीन टेस्ट: आयोडीन ड्रॉप्स लेकर मावे के टुकड़े पर डालें। अगर मावे में स्टार्च मिला है तो यह नीला हो जाएगा। यह नकली मावा होने का संकेत है।
नकली मावे का सेवन करने से सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसमें मौजूद हानिकारक पदार्थ शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकते हैं, जैसे कि पेट दर्द, उल्टी, दस्त, और लंबे समय तक इसका सेवन करने पर लिवर और किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है।
सरकार ने त्योहारों के दौरान खाद्य सामग्री की जांच के लिए विशेष दल तैनात किए हैं। प्रशासन द्वारा बाजारों में जांच की जा रही है और खाद्य विभाग नियमित रूप से सैंपल लेकर परीक्षण कर रहा है ताकि लोग सुरक्षित मावा और मिठाइयों का सेवन कर सकें।
त्योहारों के सीजन में नकली मावा से बचने के लिए जागरूक रहना जरूरी है। कोशिश करें कि मावा किसी विश्वसनीय दुकान से ही लें और मावे की गुणवत्ता की पहचान खुद करें। यदि संभव हो तो किसी स्थानिक डेयरी से ताजा मावा खरीदें, जहां गुणवत्ता की गारंटी हो।
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