नई दिल्ली : आज कल बच्चों ख़ास तौर पर लड़कियों में प्यूबर्टी की शुरुआत अधिक जल्दी देखी जा रही है. ऐसे में समय से पहले जवान होते बच्चों के माता-पिता भी अक्सर ही चिंता में रहते हैं. पेरेंट्स को चिंता इस बात की भी रहती है कि आखिर उनके बच्चे समय से पहले जवान क्यों […]
नई दिल्ली : आज कल बच्चों ख़ास तौर पर लड़कियों में प्यूबर्टी की शुरुआत अधिक जल्दी देखी जा रही है. ऐसे में समय से पहले जवान होते बच्चों के माता-पिता भी अक्सर ही चिंता में रहते हैं. पेरेंट्स को चिंता इस बात की भी रहती है कि आखिर उनके बच्चे समय से पहले जवान क्यों हो रहे हैं. अगर आपकी भी बच्ची समय से पहले ही जवान हो रही है तो आज हम आपको कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जो एक्सपर्ट्स ने कही हैं.
बहुत से लोगों को लगता है अगर किसी लड़की में पीरियड्स शुरू हो जाते हैं तो यह प्यूबर्टी की शुरुआत है. लेकिन ब्रेस्ट और प्यूबिक हेयर्स का विकास किशोरावस्था आने का पहला संकेत है. आर्मपिट से आने वाली स्मेल, आर्म्स के बाल, मुंहासे और यहां तक कि मूडीनेस मेडिकल तौर पर प्यूबर्टी के कोई लक्षण नहीं हैं लेकिन इन्हें प्यूबर्टी के साथ जोड़कर देखा जाता है. पहले के समय में केवल 8 वर्ष से पहले प्यूबर्टी के संकेतों का दिखना असामान्य माना जाता था लेकिन वर्तमान में 15 फीसदी लड़कियों में 7 वर्ष की उम्र से ही ब्रेस्ट का विकास होने लगता है और 10 फीसदी लड़कियों के प्यूबिक हेयर्स आते हैं. 25 फीसदी लड़कियों का 8 साल की उम्र तक ब्रेस्ट साइज बढ़ने लगता है, वहीं 20 फीसदी लड़कियों के प्यूबिक हेयर्स आने शुरू हो जाते हैं.
रिसर्चर्स की मानें तो फैट या मोटापा एक वजह है जिस कारण बाकी हार्मोन्स को एस्ट्रोजन में बदल देता है. लड़कियों में फैट टिशू ज्यादा होने के कारण प्यूबर्टी जल्दी होने की संभावना काफी बढ़ जाती है. हालांकि, ये मुख्य कारण है ऐसा नहीं कहा जा सकता.
स्ट्रेस और प्यूबर्टी का भी आपस में लिंक पाया गया है. रिसर्चर्स मानते हैं कि जो लड़कियां घरेलू हिंसा या घर में बिना बायोलॉजिकल पिता के बड़ी होती हैं, उन्हें पीरियड्स अधिक जल्दी आते हैं. दरअसल किसी लंबे स्ट्रेस से गुजरने पर मस्तिष्क जल्द से जल्द रिप्रोडक्शन शुरू करता है. क्योंकि रिप्रोडक्शन के लिए जिम्मेदार हार्मोन्स का विकास भी मस्तिष्क से होता है जो की प्यूबर्टी के लिए जिम्मेदार है.
खुलकर करें बात- अगर आपकी बेटी प्यूबर्टी स्टेज में है तो उसे उस समय आपकी जरूरत है. आप उसे आसान भाषा में उसके शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में जानकारी दें. आप उसे समझाएं कि इस स्टेज में हर किसी के साथ ऐसा होता है तो घबराने की जरूरत नहीं है.
उम्र के अनुसार करें बर्ताव- आपको बच्चों के साथ उम्र के अनुसार ही बर्ताव करना चाहिए. भले ही वह प्यूबर्टी में है लेकिन ये शुरुआत है और वह इसकी आदि नहीं है. इतना ही नहीं आप उसे उसकी उम्र के हिसाब से कपड़े पहनाएं ना कि साइज के हिसाब से.
इमोशनल और फिजिकल हेल्थ – प्यूबर्टी की शुरुआत मतलब आपका बच्चा मेच्योर होने लगा है, ऐसे में कुछ ऐसी एक्टिविटीज खोजें जिससे आप दोनों एक साथ अधिक समय बिताएं.
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