नई दिल्ली: नवजात शिशु के जन्म के साथ ही घर में खुशी और उत्साह का माहौल बन जाता है। इस समय बच्चे की सेहत का विशेष ख्याल रखना बेहद जरूरी हो जाता है। खासकर भारत में, जब कोई बच्चा पैदा होता है, तो परिवार के बड़े-बुजुर्ग कई तरह की सलाह देते हैं। इन्हीं में से […]
नई दिल्ली: नवजात शिशु के जन्म के साथ ही घर में खुशी और उत्साह का माहौल बन जाता है। इस समय बच्चे की सेहत का विशेष ख्याल रखना बेहद जरूरी हो जाता है। खासकर भारत में, जब कोई बच्चा पैदा होता है, तो परिवार के बड़े-बुजुर्ग कई तरह की सलाह देते हैं। इन्हीं में से एक सलाह यह है कि नवजात को पुराने कपड़े पहनाने चाहिए। लेकिन सवाल उठता है कि ऐसा क्यों करना चाहिए?
भारत में नवजात शिशुओं को पुराने कपड़े पहनाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। आमतौर पर यह कपड़े परिवार के किसी बड़े भाई-बहन या खास सदस्य के होते हैं। इसके पीछे सिर्फ पारंपरिक मान्यता ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं जो बच्चे की सेहत से जुड़े हैं। पुराने कपड़े कई बार धोने के बाद मुलायम हो जाते हैं, जिससे वे नवजात की नाजुक त्वचा के लिए आरामदायक होते हैं। नए कपड़े अक्सर कड़े और खुरदुरे होते हैं, जिससे शिशु की त्वचा पर रैशेज और खुजली हो सकती है। इसके अलावा, नए कपड़ों पर वायरस और बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो नवजात की कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं और उसे बीमार कर सकते हैं। इसलिए, पुराने कपड़े नवजात के लिए सुरक्षित और आरामदायक माने जाते हैं।
अगर आप अपने नवजात के लिए कपड़े चुन रहे हैं, तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि वे कपड़े मलमल या सूती जैसे मुलायम कपड़ों से बने हों। बच्चों के कपड़े ढीले और आरामदायक होने चाहिए, ताकि शिशु को किसी तरह की परेशानी न हो। साथ ही, नवजात की स्वच्छता का ध्यान रखना भी बेहद महत्वपूर्ण है। बच्चे के कपड़ों को अच्छी तरह धोने और सैनिटाइज करने के साथ-साथ, उसे गोद में उठाने से पहले भी हाइजीन का ख्याल रखें। शिशु को उन लोगों से दूर रखें जिन्हें सर्दी, खांसी या बुखार हो, ताकि वह संक्रमण से बचा रहे। इन सभी उपायों से आप अपने नवजात की सेहत को सुरक्षित रख सकते हैं।
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