नई दिल्ली: आजकल स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम करना जरूरी हो गया है, लेकिन कई बार एक्सरसाइज के दौरान सांस फूलना एक आम समस्या बन जाती है। हल्का-फुल्का सांस फूलना सामान्य होता है, लेकिन अगर यह बार-बार हो रहा है या ज्यादा गंभीर हो रहा है, तो इसे नजरअंदाज करना खतरनाक साबित हो सकता है। आइए जानते हैं कि किन स्थितियों में यह चिंता का कारण बन सकता है और कब डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
जब हम किसी भी शारीरिक गतिविधि में शामिल होते हैं, खासतौर पर व्यायाम करते हैं, तो हमारे शरीर को अधिक ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इस वजह से सांस लेने की गति बढ़ जाती है और यह सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन यदि बिना ज्यादा मेहनत किए ही सांस फूलने लगे या यह परेशानी लगातार बनी रहे, तो यह किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।
अगर एक्सरसाइज करते हुए अचानक बहुत ज्यादा सांस फूलने लगे और आराम करने पर भी स्थिति न सुधरे, तो यह किसी हृदय संबंधी समस्या का संकेत हो सकता है। सांस फूलने के साथ-साथ अगर छाती में दर्द, भारीपन या जकड़न महसूस हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर आपको सांस लेने में घरघराहट या सीटी जैसी आवाज आए तो यह अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारी का लक्षण हो सकता है। या फिर यदि आपको हल्की एक्सरसाइज में भी अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस हो तो यह शरीर में ऑक्सीजन की कमी या एनीमिया का संकेत हो सकता है। अगर व्यायाम के दौरान चक्कर आ रहा है या शरीर सुन्न महसूस हो रहा है, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
– कार्डियोवस्कुलर बीमारियां – हृदय की धमनियों में रुकावट या अन्य हृदय रोगों की वजह से पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती।
– फेफड़ों की समस्या – अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) जैसी बीमारियों में सांस फूल सकती है।
– मोटापा – ज्यादा वजन होने से शरीर पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे फेफड़ों और दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
– एनीमिया – खून में हीमोग्लोबिन की कमी होने पर शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे सांस फूलने लगती है।
– अनुचित व्यायाम तकनीक – अगर व्यायाम सही तरीके से नहीं किया जा रहा है या अचानक बहुत ज्यादा मेहनत कर ली जाए, तो भी यह समस्या हो सकती है।
व्यायाम शुरू करने से पहले अच्छी तरह वॉर्म-अप करें। सही तरीके से सांस लेने की तकनीक अपनाएं, जैसे गहरी और धीमी सांस लेना। धीरे-धीरे फिटनेस लेवल बढ़ाएं और अचानक ज्यादा कठिन व्यायाम न करें। अपने खान-पान से लेकर मोटापे को नियंत्रित करें और संतुलित आहार लें। अगर अस्थमा या किसी अन्य बीमारी का इतिहास हो तो डॉक्टर की सलाह लेकर ही व्यायाम करें।
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