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क्या IVF करवाने पर भी बच्चे होते हैं जेनेटिक बीमारियों से पीड़ित?

नई दिल्ली: हर कपल का सपना होता है कि उनके घर में बच्चों की किलकारियां गूंजें, लेकिन मानसिक और शारीरिक समस्याओं के कारण कई कपल्स इस सुख से वंचित रह जाते हैं। ऐसी स्थिति में, कई कपल्स इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी IVF का सहारा लेते हैं, जो बांझपन का एक प्रभावी उपचार है। आईवीएफ के […]

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क्या IVF करवाने पर भी बच्चे होते हैं जेनेटिक बीमारियों से पीड़ित?
  • August 24, 2024 10:04 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली: हर कपल का सपना होता है कि उनके घर में बच्चों की किलकारियां गूंजें, लेकिन मानसिक और शारीरिक समस्याओं के कारण कई कपल्स इस सुख से वंचित रह जाते हैं। ऐसी स्थिति में, कई कपल्स इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी IVF का सहारा लेते हैं, जो बांझपन का एक प्रभावी उपचार है। आईवीएफ के कारण लाखों कपल्स को संतान सुख प्राप्त हुआ है. वहीं इस तकनीक को बेहतर बनाने के लिए अभी भी काफी बदलाव किए जा रहे हैं.

जेनेटिक टेस्टिंग

अब आईवीएफ के माध्यम से न केवल गर्भधारण किया जा सकता है, बल्कि जन्म से पहले यह भी पता लगाया जा सकता है कि कहीं बच्चे को कोई जेनेटिक बीमारी तो नहीं है। यह पता लगाने लिए जेनेटिक टेस्टिंग एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया से भविष्य में बच्चे को होने वाली बीमारियों का पता चलता है और उसके होने से पहले ही बीमारी को उपाय के जरिए रोका जा सकता है। बता दें, जेनेटिक बीमारियां डीएनए में होने वाली असामान्यताओं से उत्पन्न होती हैं, जिनमें सिंगल जीन म्यूटेशन से लेकर क्रोमोसोम्स की जटिलताएं शामिल हो सकती हैं। नॉर्मल जेनेटिक डिसऑर्डर्स जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस, हंटिंगटन रोग और सिकल सेल एनीमिया भी जेनेटिक बीमारियों का हिस्सा हो सकते हैं। इनमें ऑटोसोमल डोमिनेंट डिसऑर्डर, ऑटोसोमल रिसेसिव डिसऑर्डर और एक्स-लिंक्ड डिसऑर्डर शामिल हैं।

 benefits of genetic testing

जेनेटिक डिसऑर्डर्स का आईवीएफ पर प्रभाव

जेनेटिक डिसऑर्डर्स का आईवीएफ पर प्रभाव पड़ता है। जिन कपल्स में जेनेटिक बीमारियों की संभावना होती है, उन्हें आईवीएफ के माध्यम से संतान उत्पत्ति कराकर इन बीमारियों से बचाया जा सकता है। इसके लिए जेनेटिक काउंसलिंग आवश्यक होती है, जिसमें कपल्स को संभावित बीमारियों के बारे में जानकारी दी जाती है, जिससे वे प्रेग्नेंसी के लिए सही निर्णय ले सकें। आईवीएफ प्रक्रिया शुरू करने से पहले कैरियर स्क्रिनिंग की जाती है, जिसमें कपल्स के स्वास्थ्य की विस्तृत जांच की जाती है ताकि उनकी जेनेटिक बीमारियों की संभावना का आकलन किया जा सके। इस जानकारी के अलावा डॉक्टर की सलाह लेना भी बेहद जरूरी है।

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