Dhanteras 2018: 5 नवंबर को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन बर्तन, आभूषण और धातु की चीजें खरीदने की मान्यता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस मनाया क्यों जाता है. इसकी कहानी क्या है.
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली. दिवाली का त्योहार इस महीने 7 नवंबर को मनाया जाएगा. लेकिन उससे दो दिन पहले धनतेरस का पवित्र त्योहार मनाया जाता है. इसका हिंदू धर्म में खास महत्व है. इस त्योहार पर माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और धनवंतरी की पूजा होती है. इस बार धनतेरस 5 नवंबर को मनाया जाएगा. धनतेरस पर लोग गहनों और बर्तनों की खरीददारी करते हैं.
लेकिन क्या आपको मालूम है कि आखिर धनतेरस का त्योहार दिवाली से दो दिन पहले ही क्यों मनाया जाता है? इसकी कहानी और महत्व क्या है? आइए आपको बताते हैं. धन और तेरस, इन्हीं दो शब्दों से मिलकर धनतेरस बना है. इस त्योहार को कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तारीख के दिन सेलिब्रेट किया जाता है. इसका एक नाम धनत्रयोदशी भी है.
क्या है इसकी कथा: धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के मौके पर धनतेरस मनाया जाता है. उन्हें देवताओं के चिकित्सक और चिकित्सा का देवता भी माना जाता है. डॉक्टर इस दिन को काफी खास मानते हैं. इस दिन बर्तन इसलिए खरीदे जाते हैं, क्योंकि भगवान धनवंतरी बर्तन लेकर ही प्रकट हुए थे. लोग लक्ष्मी-गणेश को भी इस दिन घर लाते हैं. यह बात जरूर ध्यान दें कि इस दिन न तो किसी को उधार दें न ही लें. पैसे में वृद्धि के लिए लोग इस दिन नई-नई चीजें खरीदते हैं.
इस त्योहार को बारे में एक मान्यता और भी है. कहा जाता है कि धन की देवी माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से धरती पर चलने का अनुरोध किया. नारायण ने लक्ष्मी जी से कहा कि वे धरती पर तभी चलेंगे, अगर वह (लक्ष्मी) पृथ्वी लोक की मोह-माया से प्रभावित नहीं होंगी और न ही दक्षिण दिशा की ओर देखेंगी. लक्ष्मी जी ने भगवान विष्णु की शर्त मान ली और धरती पर आ गईं. लेकिन उन्होंने दक्षिण दिशा की ओर देख लिया और नारायण की बात भूलकर दक्षिण दिशा की ओर चल दीं. वहां उन्हें सरसों और गन्ने का खेत दिखा और उन्होंने खुद को सरसों से सजा लिया और गन्ने का रस पिया.
लक्ष्मी जी को शर्त का उल्लंघन करते देख विष्णु भगवान ने उन्हें अगले 12 सालों के लिए धरती पर रहने और उस किसान की सेवा करने को कहा, जिसका वह खेत था. लक्ष्मी जी के आने से वह किसान रातोंरात मालामाल हो गया. जब 12 साल बीते तो लक्ष्मी जी को बैकुंठ वापस ले जाने के लिए भगवान विष्णु आए. लेकिन किसान उन्हें भेजने के लिए तैयार नहीं हुआ.
इसके बाद लक्ष्मी माता ने किसान से कहा कि कल तेरस है और इन दिन तुम मेरी पूजा करोगे तो कभी भी धन की कमी नहीं होगी. किसान ने लक्ष्मी जी की बात मान ली और यह मान्यता धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गई. धनतेरस के दिन सोना-चांदी और बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है. माना जाता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है. इस त्योहार की शाम को घर के मुख्य द्वार और आंगन में घी का दीया भी जलाया जाता है.
Dhanteras 2018 Shopping Muhurat: धनतेरस पर ये है शुभ योग, इस समय खरीदेंगे ये सामान तो रहेगा फायदेमंद