नई दिल्ली: सोचिए, अगर आपको कोई गंभीर बीमारी हो जाए और दवाएं काम ही न करें, तो क्या होगा? बीमारी बढ़ेगी, शरीर कमजोर पड़ेगा और अंततः मौत हो जाएगी। यही डरावना सच हमारे सामने आने वाला है। दुनियाभर के डॉक्टर और वैज्ञानिक इस बात से बेहद चिंतित हैं।
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को रोका नहीं गया, तो 2050 तक करीब 3.9 करोड़ लोगों की जान जा सकती है। मतलब साफ है—एक खतरनाक महामारी हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रही है। एंटीबायोटिक्स का ज्यादा और गलत इस्तेमाल इस संकट का मुख्य कारण है।
26 सितंबर को एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के खतरों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में एक हाई-लेवल मीटिंग आयोजित की गई। इसमें सभी देशों के प्रतिनिधियों, स्वास्थ्य संगठनों और सिविल सोसाइटी ने मिलकर इस वैश्विक संकट का हल ढूंढने पर चर्चा की।
WHO ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर हम एंटीबायोटिक्स का सही इस्तेमाल नहीं करते, तो सुपरबग्स जैसी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। आने वाले समय में ऐसी बीमारियां सामने आ सकती हैं, जिन पर दवाओं का कोई असर नहीं होगा। इस कारण से, एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को रोकना बेहद जरूरी हो गया है।
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