आईवीएफ से पैदा हुए बच्चों में हार्ट की बीमारियों का खतरा अधिक, रिसर्च में हुआ खुलासा

नई दिल्ली: आईवीएफ आजकल उन माता-पिता के लिए एक अहम विकल्प बन गया है, जो किसी वजह से प्राकृतिक तरीके से संतान सुख प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में आईवीएफ से पैदा होने वाले बच्चों की सेहत पर संभावित प्रभावों का पता चला है। एक अध्ययन ने […]

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आईवीएफ से पैदा हुए बच्चों में हार्ट की बीमारियों का खतरा अधिक, रिसर्च में हुआ खुलासा

Shweta Rajput

  • November 6, 2024 2:40 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 weeks ago

नई दिल्ली: आईवीएफ आजकल उन माता-पिता के लिए एक अहम विकल्प बन गया है, जो किसी वजह से प्राकृतिक तरीके से संतान सुख प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में आईवीएफ से पैदा होने वाले बच्चों की सेहत पर संभावित प्रभावों का पता चला है। एक अध्ययन ने यह खुलासा किया है कि आईवीएफ से जन्म लेने वाले बच्चों में हार्ट से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

आईवीएफ क्या है

आजकल लेट मैरिज, अनहेल्दी लाइफस्टाइल और लेट उम्र में बच्चे प्लान करने जैसे कुछ कारणों ने समाज में इनफर्टिलिटी रेट को काफी ज्यादा बढ़ा दिया है। यदि किसी कारणवश जब महिला एग को फर्टिलाइज करने में असमर्थ होती है, तो ऐसे में उस एग लैब में फर्टिलाइज कराया जाता है। इससे पुरुष के स्पर्म से महिला के एग्स को मिलाया जाता है एक बार जब इसके संयोजन से भ्रूण का निर्माण हो जाता है तब उसे महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

स्टडी में हुआ खुलासा

एक शोध से इश बात का खुलासा हुआ है कि जो बच्चें आईवीएफ के जरिए पैदा हुए हैं, वह नैचुरल तरीके से जन्मे बच्चों के मुकाबले कमजोर होते हैं और उनमें हार्ट संबंधी बीमारियों होने का खतरा 36 फीसदी ज्यादा होता है। तीन दशकों में इस रिसर्च में अधिक देशों जिनमें डेनमार्क, फिनलैंड, नॉर्वे और स्वीडन के 7.7 मिलियन से अधिक लोगों का डेटा शामिल है। इस रिसर्च के अनुसार आईवीएफ से जन्मे बच्चे को पैदा होने के पहले ही या गर्भ में गंभीर हार्ट की बीमारी पाई गई। जबकि नैचुरल तरीके से जन्मे बच्चों में ऐसा खतरा कम ही देखा गया है। सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर वरूण बंसल का कहना है कि इस तरह की कई रिसर्च इससे पहले भी की गई है, 2018 में भी इस तरह की स्टडी की गई थी। उस स्टडी के मुताबिक कंजेनाइटल हार्ट डिजीज का खतरा आईवीएफ से पैदा होने वाले बच्चों में नैचुरल तरीके से जन्मे बच्चों से ज्यादा होता है। हालांकि ऐसा क्यों है ये अभी भी शोध का विषय है जिस पर लगातार रिसर्च जारी हैं।

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क्या करें माता-पिता?

हालांकि यह रिसर्च चेतावनी देती है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि घबराने की आवश्यकता नहीं है। जो माता-पिता आईवीएफ प्रक्रिया के माध्यम से बच्चों का जन्म करवा रहे हैं, उन्हें बच्चों की सेहत पर खास ध्यान देना चाहिए। नियमित रूप से बच्चों का हेल्थ चेकअप करवाना, संतुलित आहार देना और उन्हें शारीरिक रूप से सक्रिय रखना, उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मददगार साबित हो सकता है।

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