नई दिल्ली: चैत्र नवरात्रि शुरु होने का सभी दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है. अगले महीने 6 अप्रैल से यह नवरात्रि शुरु होगें. 9 दिन चलने वाले यह नवरात्र 14 अप्रैल तक चलेंगे. इस दौरान देवी मां की नौ देवियों की पूजा की जाएगी. इसमें शैलपुत्री, शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंधमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं. इस नवरात्र को मा देवी के भक्त 9 दिन तक व्रत रख देवी मा को प्रसन्न करते हैं. 9 दिन के व्रत में तीन देवी पार्वती, लक्ष्मी और मां सरस्वती के नौ रुपो की अराधना की जाती है. इसे नवदुर्गा करते है.
इस नवरात्र में सभी देवी मां की पूजा करते हैं. इस दौरान सभी देवी मां का अपना महत्व होता है. शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री मां की अपनी महिमा होती है. सभी की अपनी शक्ति होती है जो अपने भक्तों को आशिष प्रदान करती है. तो आइये नौ देवियो के स्वरुप को समझने की कोशिश करते हैं.
शैलपुत्री : मां पहले दिन देवी मा के स्वरुप शैलपुत्री की पूजा की जाती है. इस मा के स्वरुप से ही नवरात्री का आरंभ होता है. यह मां का जन्म ग्रहण करता हुआ स्वरुप है.
ब्रह्मचारिणी: दूसरे दिन मां के स्वरुप ब्रह्मचारिणी की बहुत की आस्था के साथ पूजा की जाती है. भक्त के विश्ववास को मजबूत करते हुए देवी मां अपने भक्तों को उर्जा देती हैं. यह स्त्री का कौमार्य अवस्था का स्वरुप है.
चंद्रघंटा: तीसरे दिन मां के रुप चंद्रघंटा देवी की पूजा की जाती है. इस देवी के हाथ में कमडल लेते हुए दिखाया गया है. चंद्रघंटा को विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह चंद्रघंटा के समान है.
कूष्मांडा: चौथे दिन मां कूष्मांडा का होता है. इस दिन नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह कूष्मांडा कहलाती हैं.
स्कन्दमाता: पांचवे दिन स्कन्दमाता के स्वरुप की पूजा की जाती है. चौथे व्रत की कड़ी से जुड़ते हुए यह वत्र होता है. इस दिन संतान को जन्म देने के बाद वह स्त्री स्कन्दमाता होती है.
कत्यायनी: छठे दिन मां कत्यायनी का स्वरुप है. इस व्रत को करने से देवी मा अपने भक्तों को संयम और साधना प्रदान करती है.
कालरात्री: कालरात्री देवी मा का सातंवा स्वरुप है. इस वत्र में स्त्री अपने पति को अकाल मृत्यु से भी जीत लेने का सकल्प करती है. इसके लिए देवी अपने भक्तों को शक्ति प्रदान करती है.
महागौरी: नवरात्र का यह आठवा व्रत है. इस दिन भक्त के अंदर काफी शक्ति आ जाती है. इसमें कहा जाता की मनुष्य के लिए उसका घर ही उसका संसार है.
सिद्धिदात्री: नवरात्र का ये आखिरी और नौवा व्रत होता है. इस दिन जब मनुष्य अपने प्राण त्यागता है तो वह जाने से पूर्व अपनी संतान को आशीर्वाद देकर जाता है.
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