नई दिल्ली: छठ पूजा के प्रति लोग संवेदनशील हैं. देशभर में छठी मैया का व्रत पूरे विधि-विधान के साथ मनाया जाता है। विशेषकर उत्तर भारत में लोग बड़ी आस्था और भक्ति के साथ छत की पूजा करते हैं। इस व्रत में महिलाओं की काफी भागीदारी होती है. दरअसल यह व्रत बहुत कठिन है. इस व्रत में 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखना होता है। साथ ही कड़ाके की ठंड में नदी या तालाब में कमर तक पानी में घंटों खड़ा रहना पड़ता है।
बता दें कि छठ व्रत को महिलाएं बड़ी श्रद्धा से करती हैं, लेकिन कुछ महिलाओं को यह व्रत नहीं करना चाहिए। आखिर अब सवाल यह उठता है कि किन महिलाओं को यह व्रत नहीं करना चाहिए और क्यों? हालांकि 36 घंटे का निर्जला, कठिन छठ व्रत करने से पहले यह सवाल जरूर उठता है कि क्या गर्भवती महिलाएं यह व्रत कर सकती हैं। वहीं अगर आपके मन में किसी भी तरह का सवाल है तो आइए हम आपको इसका सही जवाब बताते हैं। दरअसल, ज्यादातर स्वास्थ्य विशेषज्ञ गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह का व्रत न रखने की सलाह देते हैं। छठ व्रत में कई घंटों तक निर्जलित रहना और पानी नहीं पीना शामिल है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए मुश्किल हो सकता है। इस कारण इस व्रत को रखने से मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
बता दें कि इसके अलावा तीसरी तिमाही में व्रत रखना अच्छा नहीं माना जाता है। वहीं ऐसे में अगर चक्कर आ जाए तो खतरा बढ़ जाता है। वहीं अगर गर्भावस्था के दौरान गर्भकालीन मधुमेह, एनीमिया या गर्भ में एक से ज्यादा बच्चे हों तो उपवास करना काफी हो सकता है। लेकिन अगर आपका मामला सामान्य है और कोई समस्या नहीं है तो आप विशेषज्ञ की सलाह ले और व्रत रख सकते है। लेकिन इसके लिए आपको काफी सावधानी बरतने की जरूरत है
1. मधुमेह का खतरा: गर्भवती महिलाओं को निर्जलीकरण से बचना चाहिए क्योंकि इससे उनके और बच्चों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। छठ व्रत में बिना पानी के व्रत करने से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है.
2. शरीर में ऊर्जा की कमी: गर्भावस्था के लिए अतिरिक्त ऊर्जा और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। लंबे समय तक उपवास करना और भोजन के बिना रहना गर्भवती महिला के लिए थकान और कमजोरी का कारण बन सकता है।
अगर आप फिर भी व्रत रखना चाहती हैं तो गर्भावस्था के दौरान पानी पीकर और फल खाकर व्रत रख सकती हैं। ऐसा करके आप खुद को और अपने बच्चों को सुरक्षित रखते हुए अपना व्रत रख सकती हैं।
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