कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जिसका शुरुआती पता लगाना बेहद जरूरी है। अगर समय रहते इसका पता चल जाए, तो इलाज की सफलता
नई दिल्ली: कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जिसका शुरुआती पता लगाना बेहद जरूरी है। अगर समय रहते इसका पता चल जाए, तो इलाज की सफलता की संभावना बढ़ जाती है। इसी में ब्लड टेस्ट की भूमिका अहम होती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुछ खास तरह के ब्लड टेस्ट के जरिए कैंसर के संकेत मिल सकते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे ब्लड टेस्ट से कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
ब्लड टेस्ट के जरिए शरीर में कैंसर कोशिकाओं या कैंसर से जुड़े संकेतों की पहचान की जा सकती है। माइक्रोस्कोप से सैंपल की जांच के दौरान, कैंसर कोशिकाएं दिखाई दे सकती हैं। कुछ ब्लड टेस्ट में कैंसर द्वारा निर्मित प्रोटीन या अन्य पदार्थ भी मिल सकते हैं। इसके अलावा, ये टेस्ट शरीर के अंगों की कार्यक्षमता की भी जानकारी देते हैं।
कैंसर के इलाज की शुरुआत से पहले ब्लड टेस्ट बेहद जरूरी है। यह टेस्ट डॉक्टर को यह बताता है कि आपके शरीर में कैंसर है या नहीं। इसके अलावा, ये टेस्ट यह भी मापते हैं कि आपके शरीर में ब्लड सेल्स की संख्या ठीक है या नहीं।
सीबीसी (Complete Blood Count) टेस्ट के जरिए आपके ब्लड में रेड, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स की संख्या की जांच की जाती है। अगर इसमें कोई असामान्यता पाई जाती है, तो ब्लड कैंसर के होने की संभावना हो सकती है।
एक खास तरह का ब्लड टेस्ट, जिसे इलेक्ट्रोफोरेसिस कहा जाता है, शरीर में मौजूद प्रोटीन की मात्रा को चेक करता है। इससे यह पता लगाया जाता है कि आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कितनी सक्रिय है। यह टेस्ट मल्टीपल मायलोमा जैसे कैंसर का पता लगाने में मदद करता है।
ट्यूमर मार्कर टेस्ट के जरिए कैंसर कोशिकाओं द्वारा बनाए गए रसायनों का पता लगाया जाता है। हालांकि, यह टेस्ट पूरी तरह से कैंसर की पुष्टि नहीं करता क्योंकि कुछ अन्य बीमारियों में भी ये रसायन शरीर में बन सकते हैं। आमतौर पर यह टेस्ट तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति को कैंसर की पुष्टि हो चुकी होती है और यह जांचने की जरूरत होती है कि इलाज काम कर रहा है या नहीं।
ट्यूमर मार्करों में प्रोस्टेट कैंसर के लिए प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन (PSA) और डिम्बग्रंथि के कैंसर के लिए कैंसर एंटीजन 125 (CA 125) शामिल हैं। इसके अलावा, कोलन कैंसर के लिए कार्सिनोएम्ब्रियोनिक एंटीजन (CEA) और वृषण कैंसर के लिए अल्फा-फेटोप्रोटीन भी इसके उदाहरण हैं।
परिसंचारी ट्यूमर सेल टेस्ट के जरिए शरीर के रक्त में कैंसर कोशिकाओं का पता लगाया जाता है। अगर कैंसर की कोशिकाएं शरीर के किसी हिस्से से टूटकर खून में पहुंच जाती हैं, तो इन टेस्ट के जरिए उनका पता चल सकता है। यह टेस्ट खासतौर पर स्तन, कोलन और प्रोस्टेट कैंसर में मददगार साबित हो सकता है।
जरूरी नहीं कि हर कैंसर पीड़ित व्यक्ति को यह टेस्ट कराना चाहिए। यह टेस्ट मुख्य रूप से उन मरीजों के लिए किया जाता है जिनमें कैंसर की पुष्टि हो चुकी हो। शोधकर्ता अभी भी इस पर काम कर रहे हैं कि कैसे इन टेस्ट का इस्तेमाल अन्य प्रकार के कैंसर में भी किया जा सकता है।
ब्लड टेस्ट कैंसर की जांच के लिए एक प्रभावी तरीका हो सकता है। हालांकि, यह पूरी तरह से कैंसर की पुष्टि नहीं करता, लेकिन शुरुआती पहचान में मदद करता है। इसलिए, अगर कोई व्यक्ति कैंसर के लक्षणों का अनुभव करता है तो उसे समय पर ब्लड टेस्ट कराना चाहिए ताकि समय रहते सही इलाज हो सके।
ये भी पढ़ें: गणेश स्थापना इस मुहूर्त पर ही करें, जानें कब?
ये भी पढ़ें: रिएक्टर ब्लास्ट में गई 15 लोगों की जान, इंस्पेक्टर ने सुनाया खौफनाक मंजर- “केमिकल से जले और चिल्लाते रहे”