नई दिल्ली: माता-पिता बनना हर कपल के लिए सबसे खास पलों में से एक होता है। न्यू पेरेंट लिए वे खूब तैयारियां करते हैं। हालांकि, कई बार कुछ स्थितियों के चलते डॉक्टर गर्भपात की सलाह देते हैं। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के मुताबिक, डॉक्टर ऐसा तभी कर सकते हैं, जब उन्हें लगे कि मां […]
नई दिल्ली: माता-पिता बनना हर कपल के लिए सबसे खास पलों में से एक होता है। न्यू पेरेंट लिए वे खूब तैयारियां करते हैं। हालांकि, कई बार कुछ स्थितियों के चलते डॉक्टर गर्भपात की सलाह देते हैं। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के मुताबिक, डॉक्टर ऐसा तभी कर सकते हैं, जब उन्हें लगे कि मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा है। ऐसी स्थिति में महिला की जान बचाने के लिए गर्भपात किया जाता है। लेकिन गर्भपात में कई जोखिम भी होते हैं। अगर सावधानी न बरती जाए तो परेशानी बढ़ भी सकती है। कई बार गर्भपात के दौरान जीवित भ्रूण का जन्म हो सकता है। जानिए ऐसा कब संभव है…
पिछले साल मुंबई में भी ऐसे ही मामले सामने आए थे, जब दो-तीन महीने के अंदर मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) के 3 मामलों में महिलाओं ने जीवित भ्रूण को जन्म दिया था। एक में तो 27 हफ्ते की प्रेग्नेंसी के बाद गर्भपात में भ्रूण जीवित पैदा हुआ था। डॉक्टरों के मुताबिक, गर्भपात के दौरान जीवित भ्रूण के जन्म की संभावना बहुत कम होती है, लेकिन यह असंभव भी नहीं है। ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब गर्भपात की प्रक्रिया के दौरान भ्रूण को पूरी तरह से निकाला नहीं जाता या गर्भपात के दौरान कोई जटिलता आ जाती है।
गर्भपात के दौरान भ्रूण के जीवित रहने की संभावना गर्भावस्था के समय पर निर्भर करती है। अगर गर्भपात पहली तिमाही में किया जाता है, तो भ्रूण के जीवित रहने की संभावना बहुत कम होती है। हालाँकि, अगर गर्भपात दूसरी या तीसरी तिमाही में किया जाता है, तो भ्रूण के जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है।
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