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नेल एक्सटेंशन करवाने से पहले जान लें इसके नुकसान, स्किन इन्फेक्शन से लेकर हो सकता है इन बीमारियों का खतरा

आजकल नेल एक्सटेंशन करवाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। खूबसूरत और आकर्षक नाखून पाने के लिए महिलाएं और युवतियां नेल एक्सटेंशन का सहारा ले रही हैं। हालांकि, यह प्रक्रिया देखने में जितनी आसान और ग्लैमरस लगती है, वास्तव में इसके कई साइड इफेक्ट्स और स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी हो सकते हैं।

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inkhbar News
  • February 10, 2025 2:43 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: आजकल नेल एक्सटेंशन करवाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। खूबसूरत और आकर्षक नाखून पाने के लिए महिलाएं और युवतियां नेल एक्सटेंशन का सहारा ले रही हैं। हालांकि, यह प्रक्रिया देखने में जितनी आसान और ग्लैमरस लगती है, वास्तव में इसके कई साइड इफेक्ट्स और स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी हो सकते हैं। अगर आप भी नेल एक्सटेंशन करवाने की सोच रहे हैं, तो इसके संभावित नुकसान को जानना बेहद जरूरी है।

क्या होता है नेल एक्सटेंशन?

नेल एक्सटेंशन एक आर्टिफिशियल तकनीक है जिसमें प्राकृतिक नाखूनों पर ऐक्रेलिक, जेल या डिप पाउडर की मदद से नकली नाखून लगाए जाते हैं। इन्हें विशेष गोंद (ग्लू) से चिपकाया जाता है और फिर शेप व डिज़ाइन किया जाती है। हालांकि, यह प्रक्रिया नाखूनों की प्राकृतिक बनावट और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।

1. स्किन इन्फेक्शन का खतरा

नेल एक्सटेंशन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ग्लू में केमिकल मौजूद होते हैं, जो त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यदि सही तरीके से सफाई न की जाए या हाइजीन का ध्यान न रखा जाए, तो बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन हो सकता है। कई बार नाखूनों के बीच की जगह में नमी बनी रहती है, जिससे फंगस पनपने लगता है।

2. एलर्जी और जलन की समस्या

ऐक्रेलिक और जेल नेल एक्सटेंशन के में कई प्रकार के केमिकल्स का उपयोग किया जाता है। कुछ लोगों की त्वचा इन केमिकल्स के प्रति संवेदनशील होती है, जिससे खुजली, जलन, लाल चकत्ते या एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

3. प्राकृतिक नाखूनों का कमजोर होना

लगातार नेल एक्सटेंशन करवाने से प्राकृतिक नाखूनों की जड़ें कमजोर हो सकती हैं। आर्टिफिशियल नेल हटाने के दौरान नाखूनों की ऊपरी सतह पर खरोंच आ सकती है, जिससे वे पतले और भंगुर (ब्रिटल) हो जाते हैं।

4. नेल बेड डैमेज होने की आशंका

नेल एक्सटेंशन को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है। यह धीरे-धीरे नाखूनों के नीचे की स्किन (नेल बेड) को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे नाखूनों की ग्रोथ पर भी असर पड़ता है।

5. फंगल इंफेक्शन का खतरा

अगर नेल एक्सटेंशन सही तरीके से नहीं लगाया गया या समय पर न हटाया गया, तो यह नाखूनों के नीचे फंगल इंफेक्शन का कारण बन सकता है। फंगल इंफेक्शन के लक्षणों में नाखूनों का पीला पड़ना, मोटे या कमजोर हो जाना और नाखूनों में बदबू आना शामिल है।

6. सांस की समस्या

नेल एक्सटेंशन करवाने के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले केमिकल्स की गंध कुछ लोगों के लिए हानिकारक हो सकती है। यह सांस की तकलीफ, चक्कर आना और सिरदर्द जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो अस्थमा जैसी बीमारी से ग्रसित हैं।

नेल एक्सटेंशन से बचाव के उपाय

अगर आप फिर भी नेल एक्सटेंशन करवाना चाहती हैं, तो कुछ सावधानियां बरतना बेहद जरूरी है जैसे कि-हमेशा किसी अनुभवी और प्रोफेशनल नेल आर्टिस्ट के पास ही नेल एक्सटेंशन करवाएं। अपने हाथों और नाखूनों को समय-समय पर साफ करें और मॉइश्चराइजर लगाएं। हर 2-3 महीने में कुछ समय का ब्रेक लें ताकि प्राकृतिक नाखूनों को सांस लेने का मौका मिले। अगर नाखूनों में दर्द, लालिमा या बदबू आने लगे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ऐक्रेलिक और जेल नेल एक्सटेंशन की बजाय बायो-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स का चुनाव करें।

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