हरिद्वार. एक तरफ जहां दुनियाभर में किशोर-किशोरियों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर उनके माता-पिता चिंतित हैं, वहीं एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि यौगिक क्रियाओं से किशोरों की शैक्षिक चिंताएं दूर होती हैं और आत्मविश्वास बढ़ता है.
हरिद्वार. एक तरफ जहां दुनियाभर में किशोर-किशोरियों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर उनके माता-पिता चिंतित हैं, वहीं एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि यौगिक क्रियाओं से किशोरों की शैक्षिक चिंताएं दूर होती हैं और आत्मविश्वास बढ़ता है. हरिद्वार के 160 विद्यार्थियों (उम्र 13 से 19 साल के बीच) पर 45 दिनों तक अध्ययन किया गया. इसके लिए 80-80 विद्यार्थियों के दो समूह बनाकर प्राण चेतना के आदान-प्रदान पर अध्ययन किए गए.
अध्ययन के मुताबिक, इन किशोरों को 45 दिनों तक एक घंटा प्रतिदिन प्राण प्रत्यावर्तन साधना कराई गई, साथ ही अन्य यौगिक क्रियाएं भी कराई गईं. 45 दिनों बाद जांच की गई, जिसमें पाया गया कि प्रयोगात्मक समूह के किशोर-किशोरियों में नियंत्रित समूह की अपेक्षा शैक्षणिक चिंता की कमी तथा आत्मविश्वास व सृजनामक स्तर में वृद्धि पाई गई.
शोध में यह भी स्पष्ट हुआ कि प्राण प्रत्यावर्तन साधना करने वाले किशोर-किशोरियों में मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हुआ. इस अध्ययन के अंतर्गत खेचरी मुद्रा, गायत्री महामंत्र जप, प्राणयोग, बिंदुयोग तथा नादयोग साधना आदि यौगिक क्रियाएं हैं, जो मस्तिष्क को शांत, स्थिर व प्रखर बनाती हैं. यह अध्ययन हरिद्वार के देवसंस्कृति विश्व विद्यालय के मानवीय चेतना व योग विभाग द्वारा किया गया है. इसके जरिए किशोर एवं किशोरियों में मानसिक स्वास्थ्य और रचनात्मक क्षमता के विकास पर बहुत अच्छा प्रभाव होते देखे गए.
IANS