नई दिल्ली. सेक्स लाइफ और उसमें घटता रुझान अब सिर्फ पुरुषों ही नहीं महिलाओं के लिए भी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. पुरुषों की सेक्स लाइफ को इंप्रूव करने के लिए तो बाज़ार में पहले से वायग्रा जैसी दवाएं मौजूद हैं लेकिन अब महिलाओं के लिए भी फीमेल वायग्रा बाज़ार में उपलब्ध हो गयी है. हर्बल सप्लीमेंट से बनी यह ‘फीमेल वियाग्रा’ ब्रिटेन और अमेरिका में काफी पहले से बेचीं जा रही थी.
अल्फा वन के ग्रप के डायरेक्टर और यौन विशेषज्ञ डॉ अनूप धीर का कहना है कि यह गोली सर्कुलेशन को बेहतर करके मिडिल एज महिलाओं की सेक्स लाइफ सुधार सकती है. उनके मुताबिक ‘ऐड्डी’ को ‘फीमेल वायग्रा’ कहना ही गलत है. बल्कि पुरुषों के लिए बनी ‘वायग्रा’ और महिलाओं के लिए बनी ‘ऐड्डी’ के फर्क जानने पर पुरुषों और महिलाओं की ‘सेक्सुअल डिजायर’ के बारे में बेहतर समझ बन सकती है.
धीर ने बताया कि ‘वायग्रा’ का काम पुरुष की कामेच्छा बढ़ाना नहीं है बल्कि उन्हें ‘इरेक्शन’ पाने में मदद करना है. वहीं ‘ऐड्डी’ का मकसद महिलाओं की ‘सेक्सुअल डिजायर’ बढ़ाना है. ‘ऐड्डी’ महिलाओं के शरीर में ‘ऑर्गैजम’ पैदा करने जैसा कोई ‘फिजिकल रिऐक्शन’ नहीं पैदा करती. पुरुषों में ‘वायग्रा’ तभी काम करेगी अगर उनमें पहले से कामेच्छा हो और वे उसे बढ़ाने का खुद प्रयास करें। वहीं ‘ऐड्डी’ उन महिलाओं के लिए है जिनकी ‘सेक्सुअल डिजायर’ खत्म या कम हो गई है. ये दवा उसे वापस जगाने में मदद करने का दावा करती है.
‘वायग्रा’ या उसके जैसी अन्य दवाओं का इस्तेमाल फौरन नतीजा पाने के लिए किया जाता है. इसीलिए ये दवा यौन संबंध बनाने से पहले खाई जाती है पर ‘ऐड्डी’ की टैबलेट रोजाना खाने की जरूरत होगी क्योंकि महिलाओं की ‘सेक्सुआलिटी’ ऐसे सीधे-सपाट तरीके से नहीं चलती और एक टैबलेट खाने से फौरन नतीजा नहीं मिलता.
मेडिकल साइंस की नजर से दोनों दवाएं अलग तरीके से काम करती हैं. ‘वायग्रा’ जैसी दवा पुरुषों के शरीर में खून का प्रवाह बढ़ाती हैं और मूलत: ‘इरेक्टाइल डिसफंक्शन’ की बीमारी का इलाज करती है. वहीं ‘ऐड्डी’ लगभग उसी तरह काम करती है जैसे ‘डिप्रेशन’ की दवा यानि वो महिला के मस्तिष्क के केमिकल संतुलन को बदल कर ‘सेक्सुअल डिजायर’ बढ़ाने की कोशिश करती है.
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Mera sex Karne ka bilcol man nahi hota hai Meri umar 50 years hai please keya Kare Mai mere patti ke liye karna chati ho