नई दिल्ली. छठ पूजा का आज चौथा दिन है. कई लोगों ने सूर्य को सुबह का अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल लिया होगा. लगातार 36 घंटे तक व्रत करने के बाद व्रतियों का ये व्रत खुला. इस दिन छठी मैया और सूर्य भगवान को सुबह का अर्घ्य दिया जाता है. इस वक्त देश के विभिन्न राज्यों में छठ पूजा के रंग अलग अलग देखने को मिलते है. हर देश के विभिन्न राज्यों में छठ का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज छठ के सुबह के अर्घ्य के साथ छठ सेलेब्रेशन के साथ खत्म होगा. छठ करने वाले हर परिवार में इन चार दिन लहसुन प्याज, बिस्तर पर सोना, शराब व ध्रूमपान, आदि सब निषेध होता है. चार दिन हर छोटी से छोटी बात पर ध्यान दिया जाता है. पूरी श्रद्धा भाव के साथ छठ का व्रत किया जाता है. वैसे तो छठ का व्रत साल में दो बार मनाया जाता है. एक छठ का व्रत चैत्र में और दूसरा कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाता है.
भोर या ऊषा अर्घ्य का महत्व
भोर का अर्घ्य का विशेष महत्व होता है. इस दिन व्रती सुबह सूर्य उदय यानि सूर्य उगने से पहले पूरे परिवार के साथ डाला लेकर घाट पर जाते हैं और तालाब या नदी में खड़े होकर भगवान सूर्य और छठी मैया से प्रार्थना करते हैं. कहा जाता है कि सूर्य देव की दो पत्निया थीं ऊषा और प्रत्युषा. ये दोनों को सुबह की किरणों और शाम की किरणों से वर्णित किया जाता है. सुबह की किरणों को भोर और शाम की किरणों को सांझ कहा जाता है. इस
1. बनारस में छठ पूजा का जश्न
2. मुजफ्फरपुर में छठ पूजा का सुबह का अर्घ्य देते हुए श्रद्धालु
3. दिल्ली में छठ पूजा के रंग
4. बनारस के त्रिपुरा घाट पर छठ पूजा मनाते व्रती और उनके परिवार
5. हाजीपुर में छठ पूजा पर सूर्य की अराधना करते हुए भक्त
6.महाराष्ट्र में उगते सूर्य को अर्घ्य देते श्रद्धालु