शिमला. अगर आपको घूमना-फिरना पसंद है तो आपको हिमाचल प्रदेश में लाहोल-स्पीति की सुंदरता और प्राचीन भूभाग को देखने जरूर जाना चाहिए. लाहौल-स्पीति न सिर्फ खूबसूलत जगहों में से एक है, बल्कि काफी शांत वातावरण वाला इलाका भी है.
हिमालय का दिल दिल कही जानी वाली स्पीति की खास बात ये है कि यहां अन्य टूरिस्ट डेस्टिनेशन की तुलना में कम भीड़ होती है. इसलिए अगर आप भागदौड़ की जिंदगी से सुकून के दो पल जीना चाहते हैं तो इस ये जगह आपको काफी सुकून पहुंचाएगा.
अगर आप पहले से स्पीति गये हैं या फिर नहीं भी गये हैं तो यहां आपको एक ऐसा लैंडमार्क दिखेगा जो न सिर्फ सुंदर होगा, बल्कि उसका विचार भी आपको बेहद पसंद आएगा.
एक ट्विटर यूजर नीलिमा वालांगी ने एक तस्वीर शेयर की है. इस तस्वीर में स्पीति का लैंडमार्क दिख रहा है. ये तस्वीर काफी खास नजर आती है. इस फोटो के पीछे की सच्चाई ये है कि तस्वीर में दिख रहे लैंडमार्क SPITI को 3 लाख प्लास्टिक की बोतलों से बनाया गया है.
बता दें कि हर सीजन में यहां आने वाले पर्यटक यहां की प्रकृति का आनंद लेते हैं और करीब 3 लाख बोतलें फेंक कर चले जाते हैं. यही वजह है कि इन बोतलों को इकट्ठा कर एक बेहतर कार्य किया गया है.
भले ही सभी इस खूबसूरत जगह पर जाकर गंदगी फैलाते हैं और वहां की वादियों की खूबसूरती को इन प्लास्टिक की बोतलों से गंदा कर देते हैं. मगर सभी लोग ऐसे नहीं होते हैं. कुछ लोग होते हैं जिन्हें प्रकृति से प्रेम होता है. यही वजह है कि ट्रेवलर्स और एक्विस्ट्स के ग्रुप ने साथ मिलकर इस लैंडमार्क को बनाया है.
इन लोगों ने स्पीति का लैंडमार्क इसलिए बनाया, क्योंकि वो इसके जरिये प्लास्टिक से खूबसबरत दुनिया बर्बाद कर रहे लोगों को जागरूक करना चाहते हैं. इतना ही नहीं, इस बनावट के पीछे का आइडिया ये है कि जब भी पर्यटक वहां से गुजरेंगे तो उन्हें ये लैंडमार्क देखकर एहसास होगा कि वो खूबसूरत स्पीति की नजारों का मजा उठाने के बाद वो प्रकृति को क्या वापस कर रहे हैं.
एक फेसबुक यूजर शिव्या नाथ ने अपने स्पीति के अनुभवों को साझा किया है. उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि वे स्पीति में जागरूकता कैंपेन पर काम करने वालों के साथ तीन सप्ताह बिता कर आई हैं. उन्होंने अपने अनुभवों को पोस्ट के जरिये साझा किया है.
शेखर कपूर ने इसे लेकर एक ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि पर्यावरण को लेकर यह बनावट मानव जाति की मुर्खता को दर्शाती है. क्या प्लास्टिक वाली बोतल की पानी से पहले टूरिस्ट पानी नहीं पिया करते थे?
हैरान करने वाली बात ये है कि इस इलाके की नदियां कूड़ा डालने की मैदान में बदलती जा रही हैं. शिव्या नाथ ने ट्विटर पर इन फोटो को शेयर किया है और हैरानी भी जताई है. उन्होंने स्पीति की इस वास्तविकता को दिखाया है.
पहले यहां कम ही लोग आते थे, मगर कुछ दशक से यहां आने वालें सैलानियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. यहां वैसे लोग ज्यादा आते हैं जिन्हें एडवेंचर पसंद होता है.
बता दें कि स्पीति समुद्र तल से 12500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इसके पूर्व में तिब्बत, उत्तर में लद्दाख, दक्षिण-पूर्व में किन्नौर और दक्षिण में लाहौल और कुल्लू स्थित है. पहले इन इलाकों में कारें ज्यादा नहीं जा पाती थीं, मगर अब दुर्गम इलाकों में भी कारें पहुंचने लगी हैं, जिसकी वजह से पिछले कुछ समय में यहां भी प्रदूषण का स्तर बढ़ा है.
यहां अधिकतर टूरिस्ट पिकनिक मनाने जाते हैं और साथ में पैक्ड फूझ आइटम भी ले जाते हैं. इतना ही नहीं, कुछ टूरिस्ट तो वहीं पर खाना पकाते भी हैं. इससे यहां पर प्रदूषण का लेवल बढ़ गया है. इस बात से कोई नहीं नकार सकता कि पिछले कुछ सालों में यहां बसें भी खूब चलने लगी हैं.
कुछ लोगों ने स्पीति की खूबसूरती को बचाने का उपाय भी बताया है. नीलिमा वालंगी लिखती हैं कि स्पीति में पानी की बोतल के लिए कुछ और विकल्प भी हो सकते हैं. जैसे हिमालय से आ रही पानी को उबाल कर पिया जाए या साफ कर. कैफे में पानी को फिल्टर किया या लाइफस्ट्रॉ बोतलों का प्रयोग किया जाए.
इस तरह से देखा जाए तो कुछ लोगों ने स्पीति लैंडमार्क वाले काम की सराहना की है, तो वहीं लगातार बढ़ रही गंदगी को लेकर चिंता भी व्यक्त की है.