मुंबई: भारत में कई ऐसे जगह है जिनकी कहानी जानकर आप हैरान हो जाएंगे. ऐसी ही एक अनोखी जगह है महाराष्ट्र का जंजीरा फोर्ट की.
जंजीरा फोर्ट यह किला अपनी बनावट के लिए जाना जाता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये किला चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है. इसे आप आईलैंड फोर्ट भी कह सकते हैं. इसकी बनावट ही कुछ ऐसी है जिसे देखने के लिए विदेशों से लोग आते हैं.
यह किला टूरिस्ट को काफी एट्रेक्ट करती है. किले की खूबसूरती के बारे में बताने से पहले हम आपको इसके नाम का अर्थ बताते हैं. दरअसल जंजीरा अरबी भाषा के ‘जजीरा’ शब्द से बना जिसका अर्थ होता है टापू.
इन्हीं किलों में से एक है महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के मुरुद गांव में स्थित मुरुद-जंजीरा फोर्ट. लगभग 22 एकड़ में फैले इस किले का निर्माण कार्य 22 वर्षों में पूरा हुआ था. इसमें 22 सुरक्षा चौकियां है. यह किला जंजीरा के सिद्दीकियों की राजधानी हुआ करता था, अंग्रजों और मराठा शासकों ने इस किले को जीतने का काफी प्रयास किया, लेकिन वह अपने इस मकसद में कामयाब नहीं हो जाए.
जंजीरा किला समुद्र के बीच बना हुआ है और चारों ओर खारे पानी से घिरा हुआ है. समुद्री तल से लगभग 90 फीट ऊंचे किले में शाह बाबा का मकबरा बन हुआ हैऔर इसकी नींव 20 फीट गहरी है. इस किले की सुरक्षा के लिए 22 तोपें तैनात की गई थीं, 350 वर्ष पुराने इस किले में सिद्दीकी शासकों की तोपें आज भी मौजूद हैं.
यह किला मलिक अंबर द्वारा बनाया गया था जो कि अहमदनगर के सुल्तान के कोर्ट में काम करते थे. जंजीरा 17 वीं शताब्दी के आसपास बनाई गई थी और तब से लेकर अब तक यह ऐसे ही खड़ा है.
ये किला 90 फीट ऊंचा है और उसके चारों तरफ ऊंची-ऊंची दीवार है. जो कि समुंद्री लहरों को किले के अंदर आने से रोकता है.
जंजीरा समुंद्र की तेज तूफान के बीच भी अपने मस्त अंदाज में 350 साल से ऐसे ही खड़ा है. इतना ही नहीं कई बार बाहरी ताकतों ने इस किले पर आक्रमण करने की भी कोशिश की लेकिन किसी में इतना दम नहीं कि इसको हिला सके.
बता दें कि सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि इस किले के अंदर एक बड़ा और एक छोटा तालाब भी है.
ब्रिटिश, पुर्तगाली, शिवाजी, कान्होजी आंग्रे, चिम्माजी अप्पा तथा शंभाजी ने इस किले को जीतने का काफी प्रयास किया था, लेकिन कोई सफल नहीं हो सका. इस किले में सिद्दिकी शासकों की कई तोपें अभी भी रखी हुई हैं.
इस किला के चारों तरफ नारियल और सुपारी के पेड़ लगे हुए हैं. ये किला महाराष्ट्र के मुरुड से दो किलोमीटर दूर स्थित है. कहा जाता है कि इस किला में कुल 500 तोप थे लेकिन जिसमें से अब कुछ ही बचे हैं.
इन तीन विशाल बचे हुए तोपों के नाम है – कलालबंगडी, चावरी, लांदा कसम के नाम से जाना जाता है. साथ ही कई बंदूकें भी बुर्ज के अंदर पाई गई है.
बाहर से इतना सुंदर दिखने वाले इस किले के अंदर भी काफी कुछ है देखने के लिए. इसके अंदर पानी के टैंक, सुंदर सा मकबरा, पत्थर की कई कलाकृतियां देख सकते हैं और इसके अंदर जाने वाले दरवाजा के पास 6 हाथी और बाघ बना हुआ है. साथ ही आप देखेंगे कि किले के अंदर 19 बुर्ज है.
जंजीरा का किला जाने के लिए ऑटोरिक्शा से मुरुड से राजपुरी जाना होता है. यहां से नाव द्वारा जंजीरा का किला जाया जा सकता है. एक व्यक्ति का नाव का किराया 20 रु. है. समय: सुबह 7 बजे से शाम 6 से 7 के बीच. यह किला शुक्रवार को दोपहर से 2 बजे तक बंद रहता है.