घरेलू हिंसा आज के समय में परिवार और समाज, दोनों के लिए नासूर बन चुका है. घरेलू हिंसा पीड़ित न सिर्फ शारीरिक रूप से घायल होता है, बल्कि उसे मानसिक रूप से भी भारी आघात पहुंचता है. एक नए शोध में बताया गया है कि घरेलू हिंसा से अवसाद और अन्य मानसिक रोग होने का खतरा बढ़ता है.
टोरंटो. घरेलू हिंसा आज के समय में परिवार और समाज, दोनों के लिए नासूर बन चुका है. घरेलू हिंसा पीड़ित न सिर्फ शारीरिक रूप से घायल होता है, बल्कि उसे मानसिक रूप से भी भारी आघात पहुंचता है. एक नए शोध में बताया गया है कि घरेलू हिंसा से अवसाद और अन्य मानसिक रोग होने का खतरा बढ़ता है.
‘डिप्रेशन एंड एंगजाइटी’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाओं में, अन्य महिलाओं की अपेक्षा मनोभाजन जैसे मानसिक लक्षण होने का खतरा तीनगुना अधिक होता है. कनाडा के मॉन्ट्रियल विश्वविद्यालय की इकाई स्कूल ऑफ क्रिमिनोलॉजी में प्रोफेसर और शोध की लेखिका इजाबेल आउलेट-मोरिन ने बताया, “मानसिक समस्याओं, खासतौर पर अवसाद के खतरे पर घरेलू हिंसा के प्रभाव अध्ययन किया.”
उन्होंने बताया, “हमने पीड़ित के व्यक्तिगत इतिहास के निश्चित कारकों की भूमिका का अध्ययन भी किया.” लगभग 10 साल चले अध्ययन में 1,000 से अधिक माताओं ने भाग लिया. अध्ययन में सिर्फ उन्हें लिया गया, जिन्हें पूर्व में कभी अवसाद नहीं हुआ था. अध्यन की अवधि के दौरान शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के कई साक्षात्कार लिए जिसमें उन्होंने परीक्षण किया कि प्रतिभागी अपने साथी की हिंसा का शिकार और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रस्त हुई या नहीं.
परिणामों में पाया गया कि एक तिहाई से अधिक महिलाएं अपने साथी की हिंसा से पीड़ित थीं. घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं में अवसादग्रस्त होने का खतरा दोगुना था. घरेलू हिंसा न सिर्फ मिजाज को, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को भी प्रभावित करती है. बचपन में बुरे बर्ताव का शिकार हो चुकीं घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाओं में इसका खतरा दोगुना होता है.
IANS