नई दिल्ली : दुनिया में सेल्फी लेने का क्रेज लगातार बढ़ता ही जा रहा है. युवा वर्ग हो या बच्चे या फिर अधेड़ उम्र के लोग, हर किसी को अब धीरे-धीरे सेल्फी का शौक होते जा रहा है, लेकिन आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि पूरे विश्व में रोजाना लगभग बिहार की आबादी के बराबर सेल्फी ली जाती हैं.
जी हां, एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व भर में 9 करोड़ 40 लाख सेल्फी ली जाती हैं, जो कि बिहार की आबादी से महज 70 लाख कम है. बिहार की आबादी 10 करोड़ 30 लाख है. वहीं अगर पश्चिम बंगाल की आबादी को देखा जाए तो इसकी आबादी तो एक दिन में सेल्फी लेने की संख्या से भी कम यानी 9 करोड़ 10 लाख है.
ये तो बात की गई भारत के राज्यों की आबादी की, लेकिन अगर दुनिया के देशों की आबादी पर नजर डाली जाए तो कई ऐसे देश हैं जिनकी आबादी सेल्फी लेने की संख्या से काफी कम है. मिस्त्र की आबादी 9 करोड़ 50 लाख है तो वहीं जर्मनी की आबादी 8 करोड़ 10 लाख है.
सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि यूनाइटेड किंगडम की आबादी सेल्फी लेने की संख्या से बेहद कम है. जी हां, यूके की आबादी महज 65,788,574 (6 करोड़ 50 लाख) है. फ्रांस, इटली, इराक जैसे देशों की आबादी तो सेल्फी लेने की संख्या से बहुत ही ज्यादा कम है.
बता दें कि आज के जमाने में सेल्फी का क्रेज इतना ज्यादा बढ़ गया है कि लोग अपने बिजी शैड्यूल में भी सेल्फी के लिए टाइम निकाल ही लेते हैं. एक रिसर्च की मानें तो लोग अपने बिजी शैड्यूल में भी समय निकाल कर कम से कम दिन के 5 घंटे तो सेल्फी क्लिक करने में ही बिता देते हैं.
हर आम और खास व्यक्ति के शौक में शुमार सेल्फी को पहली बार 2013 में ऑक्सफोर्ट इंग्लिश डिक्शनरी में वर्ड ऑफ द ईयर घोषित किया गया था. बता दें कि सेल्फी शब्द ऑस्ट्रेलिया से आया है.
सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात ये है कि पुरुष बेस्ट सेल्फी कैसे ली जाए ये जानने के लिए इंटरनेट पर सबसे ज्यादा समय बिताते हैं. रिसर्च के मुताबिक जिस व्यक्ति का जन्म 1980 के बाद हुआ है वह अपने जीवन में 25 हजार सेल्फी तक क्लिक कर सकता है. एक व्यक्ति सेल्फी लेने में एक वर्ष में करीबन 54 घंटे बिताता है.