जानिए सात चक्र के प्रभाव और उन्हें जागरुक करने वाले आसन
सात चक्रों को लेकर जब भी बातें होती हैं, वो कभी हमारी समझ और कभी तो हमारी पकड़ से बाहर लगती है. इस आलेख में चक्रों की उन खूबियों की चर्चा है, जो सीधे तरीक़े से हमारे व्यक्तित्व को प्रभावित करती हैं. साथ ही जानेंगे कि कैसे योग साधना के सरल उपाय से हम अपने व्यक्तित्व को कई आयामों में खिला सकते हैं.
May 31, 2017 9:56 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: सात चक्रों को लेकर जब भी बातें होती हैं, वो कभी हमारी समझ और कभी तो हमारी पकड़ से बाहर लगती है. इस आलेख में चक्रों की उन खूबियों की चर्चा है, जो सीधे तरीक़े से हमारे व्यक्तित्व को प्रभावित करती हैं.
साथ ही जानेंगे कि कैसे योग गुरु धीरज वशिष्ठ के योग साधना के सरल उपाय से हम अपने व्यक्तित्व को कई आयामों में खिला सकते हैं.
योग दर्शन मानता है कि हमारे शरीर के अंदर मूलरुप में सात ऊर्जा के स्तोत्र हैं, जिसे सप्त चक्र कहा गया. ये चक्र हमारे आकार, व्यवहार, विचारों और इमोशन या संवेदना को नियंत्रित करते हैं. जब हमारे ये चक्र खिले और एकरुप होते हैं तो हमारा शरीर और मन एक खास संतुलन में काम करता है और तब हमारे संपूर्ण व्यक्तित्व में कमल की तरह खिलाहट दिखती हैं.
हर चक्र को जागृत करने के लिए कई आसन, प्राणायाण, ध्यान और योग के दूसरे कई टूल्स हो सकते हैं. सरलता के लिए इस आलेख में हर चक्र के लिए एक आसन का जिक्र किया जा रहा है. साधक इन आसनों को पूर्ण यौगिक भाव से ध्यानमय होकर अभ्यास करें
सात चक्र, उनके स्थान, प्रभाव और उसे जागरुक करने वाले आसन-
पहला चक्र
ऩाम-मूलाधार चक्र
स्थान-जननेन्द्रिय और गुदा के बीच स्थित
आसन-वीर भद्रासन
प्रभाव-मूलाधार के संतुलित होने से आप के व्यक्तित्व में मजबूती और कांफिडेंस दिखता है
दूसरा चक्र
ऩाम- स्वाधिष्ठान चक्र
स्थान- मूलाधार के करीब उपस्थ में
आसन- बद्ध कोणासन
प्रभाव- स्वाधिष्ठान में संतुलन से आपके व्यक्तित्व में रचनात्मकता और सकारात्मकता दिखती है.