दुनिया के चौथे सबसे छोटे देश ने यूरोपीय देशों से खुद को डूबने से बचाने के लिए मदद की गुहार लगाई है. ग्लोबल वार्मिंग के चलते तुवालु नाम का यह देश डूब रहा है. इसलिए यहां के प्रधानमंत्री एनेल स्पोआग ने यूरोपीय देशों से मदद की गुहार लगाई है.
न्यूयॉर्क. दुनिया के चौथे सबसे छोटे देश ने यूरोपीय देशों से खुद को डूबने से बचाने के लिए मदद की गुहार लगाई है. ग्लोबल वार्मिंग के चलते तुवालु नाम का यह देश डूब रहा है. इसलिए यहां के प्रधानमंत्री एनेल स्पोआग ने यूरोपीय देशों से मदद की गुहार लगाई है.
इसी सिलसिले में एलेन यूरोपीय संघ के नेताओं से बातचीत करने ब्रसेल्स पहुंचे. उन्होंने यूरोप से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम कर ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने की अपील की. वर्तमान में यह 2 डिग्री सेल्सियस है. इसी साल दिसंबर में पेरिस में जलवायु परिवर्तन शिखर वार्ता होनी है.
दुनिया में बढ़ते तापमान से समुद्री स्तर बढ़ रहा है और तुवालु इसकी चपेट में है जो प्रशांत महासागर क्षेत्र के कई द्वीपों में एक है. पीएम एनेल ने कहा है कि अगर तुलावु डूब गया तो इसका मतलब होगा कि जलवायु परिवर्तन में बदलाव नहीं आया. ये दुनिया के लिए खतरनाक संकेत होगा.
एनेल ने कहा कि दुनिया को बचाने के लिए तुवालु को बचाना होगा. उन्होंने कहा कि मानव जाति को मिटने से बचाने के लिए हमें एकजुट होने की जरूरत है.
एलेन का कहना है कि लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजकर बचाया जा सकता है पर यह कोई स्थायी विकल्प नहीं है. इससे जलवायु में परिवर्तन नहीं रुकेगा.
तुवालु की आबादी सिर्फ 10 हजार है और इस देश का सबसे ऊंचा स्थान भी समुद्र तल से सिर्फ चार मीटर ऊपर बसा है. बढ़ते तापमान से समुद्री जलस्तर बढ़ रहा है और इससे इसका अस्तित्व खतरे में है. 26 वर्ग किलोमीटर में फैले तुवालु को 1978 में ब्रिटेन से आजादी मिली थी.
एजेंसी