इन चार नए तरीकों से रुक सकती है प्रैग्नेंसी, पुरुष भी कर सकते हैं इस्तेमाल

गर्भधारण से बचने के लिए ऐेसे तो गर्भनिरोधक गोलियां बेहद कारगर तरीका माना जाता है लेकिन इनके कुछ साइड इफेक्ट्स भी सामने आते हैं. इनसे पीरियड्स में अनी​यमितता और एक शोध के अनुसार डिप्रेशन का भी खतरा होता है.

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इन चार नए तरीकों से रुक सकती है प्रैग्नेंसी, पुरुष भी कर सकते हैं इस्तेमाल

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  • November 27, 2016 4:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : गर्भधारण से बचने के लिए ऐेसे तो गर्भनिरोधक गोलियां बेहद कारगर तरीका माना जाता है लेकिन इनके कुछ साइड इफेक्ट्स भी सामने आते हैं. इनसे पीरियड्स में अनी​यमितता और एक शोध के अनुसार डिप्रेशन का भी खतरा होता है. इसलिए यहां हम आपको गर्भधारण से बचने के चार नए तरीकों के बारे में बता रहे हैं: 
 
फर्टिलिटी एप
इस एप के जरिए फर्टिलिटी साइकल पर नजर रखी जा सकती है. हालांकि, इसके लिए यूजर्स को हर रोज अपने तापमान का हिसाब रखने की जरूरत होती है. इस एप के बारे में कहा जाता है कि यह महज तीस सेकेंड में बता देता है कि आप गर्भवती हैं कि नहीं. 
 
एक नई पिल
गर्भनिरोधक गोलियां दो तरह की होती हैं. एक गोली में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दोनों तरह के हार्मोन होते हैं. महिलाओं में पाए जाने वाले इन दोनों की हार्मोन्स की मात्रा बढ़ने से ये अंडाशय से अंडाणुओं को निकलने से रोक देते हैं. लेकिन, उच्च रक्तचाप और मोटापे से ग्रस्त महिलाएं ऐस्ट्रोजन हार्मोन नहीं ले सकती हैं. इस नई तरह की पिल में केवल प्रोजेस्टरोन होता है. इसे ‘मिनी पिल’ कहते हैं. 
 
पुरुषों के लिए पिल
मर्दों के लिए गर्भनिरोधक पिल भी बहुत पहले ईजाद हो चुकी है. लेकिन, इसके साइड इफेक्ट और रिसर्च के लिए फंड की कमी को लेकर होने वाली चिंताओं के कारण यह तरीका कामयाब नहीं हो सका है. 
 
लेकिन, यूनिवर्सिटी आॅफ वोल्वरहैंपटन के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उनके पास इस पिल का सही फार्मूला है. उन्होंने शुक्राणु की गति को कम करने वाले एक विशेष पेप्टाइड (प्रोटीन) को विकसित किया है. इसका निर्माण पिल, स्प्रे या क्रीम के रूप में किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल सेक्स से कुछ घंटे पहले करना होता है. 
 
पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक इंजेक्शन 
हाल ही की एक जांच में यह पाया गया है कि पुरुषों के लिए बनाए गए गर्भनिरोधक इंजेक्शन गर्भ रोकने में 96 प्रतिशत कारगर होते हैं. यह नतीजा 270 लोगों पर परीक्षण करने के बाद सामने आया है. 
 
जिन लोगों पर परीक्षण किया गया उन्हें हर आठ हफ्ते में दो हार्मोन की सूइंया दी गईं. एक प्रोजेस्टेरोन की और दूसरी टेस्टोस्टेरोन की अलग किस्म की. लगातार छह महीने से परीक्षण जारी रखने पर पाया गया कि उनके अंदर शुक्राणुओं की संख्या दस लाख से कम हो चुकी है. हालांकि, इस पिल से मूड स्विंग और चेहरे पर दानों के साइड इफेक्ट के चलते परीक्षण रोकना पड़ा. इस समस्या को दूर करने के लिए शोध किया जा रहा है. 

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