इसका रिसर्च टीम करने वाली टीम में भारतीय वैज्ञानिक भी शामिल हैं. रिसर्च टीम का दावा है कि इस बीमारी से निपटा जा सकता है. इससे एंटीऑक्सीडेंट की मदद से माइटोकांडिया को ठीक किया जा सकता है.
इसके दो प्रकार होते हैं. एलडीएल (लो डेन्सिटी लिपोप्रोटीन) और एचडीएल (हाई डेन्सिटी लिपोप्रोटीन). एलडीएल को हानिकारक माना जाता है. इसकी ज्यादा मात्रा धमनियों को संकरा कर देता है. जिससे ब्लड सर्कुलेशन रूकने लगता है. यह दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का बड़ा कारण होता है.
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