वर्ष 2015 के मैन इंटरनेशनल बुकर प्राइज हंगरी के लेखक लेस्जलों कारास्जनाहोरकाई को मिला. लंदन में 20 मई को एक समारोह में हंगरी के इस लेखक को मैन बुकर प्राइज से नवाजा गया. दुनियाभर से शार्टलिस्ट किए गए 10 लेखकों में से लेस्जलों कारास्जनाहोरकाई का चयन किया गया. भारत से लेखक अमिताभ घोष का भी इस पुरस्कार के शार्टलिस्ट किया गया था. लेस्जलों द्वारा लिखी गयी किताबों में 'द मेलानचोली ऑफ रेसिस्टेंस 'और 'सतनतैंगो' शामिल है.
लंदन. वर्ष 2015 के मैन इंटरनेशनल बुकर प्राइज हंगरी के लेखक लेस्जलों कारास्जनाहोरकाई को मिला. लंदन में 20 मई को एक समारोह में हंगरी के इस लेखक को मैन बुकर प्राइज से नवाजा गया. दुनियाभर से शार्टलिस्ट किए गए 10 लेखकों में से लेस्जलों कारास्जनाहोरकाई का चयन किया गया. भारत से लेखक अमिताभ घोष का भी इस पुरस्कार के शार्टलिस्ट किया गया था. लेस्जलों द्वारा लिखी गयी किताबों में ‘द मेलानचोली ऑफ रेसिस्टेंस ‘और ‘सतनतैंगो’ शामिल है.
गौरतलब है कि वार्षिक पुरस्कार से अलग मैन बुकर अंर्तराष्ट्रीय पुरस्कार जीवनभर के साहित्यीक उपलब्धियों के लिए दिया जाता है. उन्हे हंगरी के सर्वोच्च सम्मान ‘द कोस्सुथ पुरस्कार’ मिल चुका है. मैन इंटरनेशनल बुकर प्राइज में विजेता को 6 लाख यूरो की रकम दी जाती है .1990 में कारास्जनाहोरकाई ने अपना ज्यादातर समय इस्ट एशिया , मंगोलिया , जीन और जापान में बीताया. उन्होंने ‘प्रीजन ऑफ उरुगा’ और ‘डिस्ट्रक्शन एण्ड सॉरो ऑफ बीनीथ द हेवेन्स’ में इन देशों के अनुभव के बारे में लिखा है.
IANS