पहले शाही स्नान से शुरू हुआ महाकुंभ, उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

उज्जैन. दुनियाभर से श्रद्धालुओं का बड़ा जमावड़ा धर्मनगरी उज्जैन पहुंच गया है और इसके लिए राज्य सरकार ने तमाम तरह की तैयारिया कर रखी हैं. ये महाकुंभ 22 अप्रैल से शुरू होकर 21 मई तक चलेगा. इस सिंहस्थ महाकुंभ-2016 के लिए और उज्जैन के विकास के लिए राज्य सरकार 3,500 करोड़ खर्च कर रही है.
क्षिप्रा में शुक्रवार सुबह शंकराचार्य और नागा साधुओं के शाही स्नान के साथ सबसे बड़ा धार्मिक मेला शुरू हो गया. सबसे पहले पंच दशनाम जूना अखाड़ा, पंचायती आवाहन अखाड़ा और पंचायती अग्नि अखाड़े के साधु-संतों ने दत्त आखाड़ा घाट पर सुबह 6 बजे स्नान किया.
बुधादित्य योग ने शाही स्नान को बनाया खास
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार शुक्रवार सुबह 6 बजे मेष लग्न में अमृत स्नान का आरंभ हुआ. मेष राशि में सूर्य व बुध का होना, उच्च बुधादित्य योग बना रहा है. इसके साथ ही सिंह राशि में बृहस्पति व राहु का दृष्टि संबंध भी बन रहा है. यह योग धर्म व आध्यात्मिक उन्नति के लिए सबसे श्रेष्ठ है.
पहले अमृत स्नान के लिए सजे घाट
सुबह पांच बजे से शंकराचार्य और अखाड़ों के प्रमुख साधु-संत पारंपरिक रूप से रथ पर सवार होकर शिप्रा तट पर पहुंचे. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा (दत्त अखाड़ा) बड़नगर उज्जैन- यह अखाड़ा स्नान के लिये भेरूपुरा, हनुमानगड़ी, शंकराचार्य चौक होते हुए छोटीरपट, केदारघाट, एवं दत्तअखाड़ा घाट पहुंचा. वैष्णव अखाड़े और अणि अखाड़े के साधु संत भी शिप्रा तट पर पहुंचर शाही स्नान किया.
25,000 सुरक्षाकर्मी किए जाएंगे नियुक्त
आईजी ने कहा कि पवित्र क्षिप्रा नदी में सिंहस्थ के शाही स्नान के दौरान मेला क्षेत्र में करीब 25,000 सुरक्षाकर्मी नियुक्त किये गए हैं. पहले शाही स्नान के साथ ही सिंहस्थ शुरू हो गया है. साधू-संतों का जूना अखाड़ा सबसे पहले शाही स्नान करेगा. उसके बाद साधूओं के अन्य अखाड़े निर्धारित क्रम में शाही स्नान में शामिल होंगे.
सिंहस्थ में 13 अखाड़े होते हैं शामिल
उज्जैन के कलेक्टर कविन्द्र कियावत ने कहा, ‘हमने सिंहस्थ की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं और हम इस भव्य धार्मिक आयोजन के लिए तैयार हैं.’ उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन ने किन्नरों को एक स्थान आवंटित किया है. किन्नरों द्वारा कुंभ क्षेत्र में प्रवेश के लिए पेशवाई निकालने की योजना के एक दिन पहले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रमुख आचार्य नरेन्द्र गिरी ने बताया, ‘हमनें किन्नरों को सिंहस्थ में अखाड़े के लिए मंजूरी नहीं दी है.’ उन्होंने कहा कि परम्परागत रूप से सिंहस्थ में 13 अखाड़े शामिल होते हैं और सभी अखाड़ों के संतों ने कुंभ क्षेत्र में पेशवाई निकाली है.
4 हजार पंडालों में संतों का डेरा
मेले के लिए 3061 हेक्टेयर में 4 हजार से ज्यादा पंडालों में साधु-संतों ने डेरा डाल दिया है. निवर्तमान शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंदजी, जूना पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि, महामंडलेश्वर पायलट बाबा, परमहंस नित्यानंद, महामंडलेश्वर दाती महाराज और अन्य प्रमुख संत भी आ चुके हैं.
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