#WomensDaySpecial: भारत में है महिलाओं को ये अधिकार

नई दिल्ली. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है, दुनियां भर में महिलाओं के सम्मान और उनके अधिकारो को लेकर चर्चा होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं भारतीय संवीधान में भी महिलाओं के लिए कुछ अधिकार दिए गए हैं. आइए इस महिला दिवस महिलाओं के दस अधिकारों के बारे में जाने लेते हैं, जिसके बारे में ज्यादातर महिलाओं को कोई जानकारी नहीं है.
कानूनी सहायता
क्रिमिनल लॉयर “अर्नब दत्त” का कहना है ‘भारतीय लीगल सर्विसेस अथॉरिटि एक्ट 1987 के अनुसार. सभी रेप विक्टिम महिला को फ्री लीगल सहायता का अधिकार है. अगर कोई विक्टिम वकील हायर नहीं कर सकती, तो वहा के लीगल सर्विस अथॉरिटि का दायित्व है कि वह उस विक्टिम के लिए वकील का इंतजाम करे.
आइडेंटिटी
IPC की धारा 228ए के मुताबिक रेप विक्टिम को पहचान छुपाने का अधिकार है. विक्टिम को पहचान बताने के लिए ना तो मीडिया और ना ही पुलिस दबाव डाल सकती है.  विक्टिम के पर्मिशन के बिना उसका नाम छापने पर पब्लिसर को जेल हो सकती है. विक्टिम अगर चाहे तो अकेले या महिला पुलिस के साथ अपना स्टेटमेंट मजिस्ट्रेट के सामने दे सकती है.
पुलिस स्टेशन नहीं बुलाया जा सकता
क्रिमिनल लॉयर “कौशिक देय” ने बताया सेक्शन 160CrPC  के अनुसार किसी भी महिला को गवाही के लिए पुलिस स्टेशन नहीं बुलाया जा सकता. महिला अगर चाहे तो अपना स्टेटमेंट घर  पर ही महिला पुलिस के सामने रिकॉर्ड करा सकती है.
गिरफ्तारी
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक किसी भी महिला अपराधी की गिरफ्तारी रात के समय नहीं हो सकती. अगर महिला अपराधी किसी गम्भीर अपराध में शामिल है, तो उसे स्पेशल पर्मिशन के बाद ही रात में गिरफ्तार किया जा सकता है.
मैटरनिटि लीव
मैटरनिटि बेनेफिट एक्ट 1961 के तहत कोई भी प्रेगनेंट महिला चाहे तो डिलेवरी के बाद या डिलेवरी से पहले 12 सप्ताह तक पेड ऑफ ले सकती है. हालांकि महिला को डिलेवरी से पहले ज्यादा से ज्यादा 6 सप्ताह तक का ऑफ मिल सकता है.
ईक्वल सैलरी
इक्वल रेम्यूनरेशन एक्ट 1976 के मुताबिक कोई भी संस्थान महिला और पुरुष के बीच में सैलरी या भर्ती को लेकर भेदभाव नहीं कर सकती.
ऑफिस में सुरक्षा
कोई भी संस्थान जहा 10 लोगों से ज्यादा लोग काम करते हो. वहां हरासमेंट का खतरा बना रहता है. इसी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के विशाखा गाईडलाइंस के अनुसार हर संस्थान में एक गाईडलाइंस कमेटि होना जरुरी है और उस कमेटि का हेड महिला होना चाहिए.
प्रॉपर्टि
2005 में हिन्दु सक्सेशन एक्ट में हुए संसोधन के अनुसार महिला और पुरुष दोनो का पैतृक संप्पत्ति पर समान अधिकार है. लड़की को अधिकार है कि वह संप्पत्ति पर अपना अधिकार जता सके.
लीव-इन में रहना
कोई भी महिला जो अपने किसी साथी के साथ लीव इन रिलेशनशिप में रह रही हो. उसे डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट 2005 के तहत प्रोटेक्शन प्राप्त है. इस प्रावधान के तहत महिला चाहे तो आर्थिक या किसी भी अन्य तरह की सहायता ले सकती है.
ई-मेल एफआईआर
अगर कोई महिला एफआईआर दर्ज कराने पुलिस स्टेशन नहीं जा सकती, तो वह ई-मेल से अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है. उसके बाद संबंधित अधिकारी वेरिफिकेशन और एफआईआर के लिए अपने किसी ऑफिसर को महिला के घर भेजेगा.
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