नई दिल्ली: प्रतिवर्ष दुनिया भर में 15 लाख लोगों की अकाल मृत्यु होने की वजह दूषित हवा हो सकती है. एक रिसर्च स्टडी के मुताबिक वायु प्रदूषण के चलते इंसान की उम्र में औसतन करीब तीन साल तक की कमी आ गई है
वैज्ञानिकों का मानना है मौजूदा समय में फेफड़ा संबंधी रोग, कैंसर, हृदय संबंधी रोग और स्ट्रोक्स का आना- ये सभी बीमारियां वायु प्रदूषण से हो सकती है. इतना ही नहीं, वायु प्रदूषण को अब न्यू स्मोकिंग (नया ध्रूमपान) भी कहा जा रहा है.
वैज्ञानिकों की एक टीम के अनुसार, घर से बाहर के प्रदूषण के चलते हर इंसान की औसतन तीन साल (2.9 साल) की की उम्र कम हो जाती है. यह आंकड़ा पहले के अनुमानों से तकरीबन दोगुना ज्यादा है.
पूरी दुनिया में हर साल 15 लाख लोगों की अकाल मौतें हो जाती हैं. इसकी वजह बारीक प्रदूषण कण (पीएम 2.5) बताए जा रहे हैं. इतना ही नहीं, वायु प्रदूषण का स्तर हमारी सोच से भी कहीं ज्यादा खतरनाक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण के महीन कणों में लगातार लंबे समय तक रहने के चलते हर साल 42 लाख से ज्यादा लोगों की अकाल मौत हो जाती है.
एक्सपर्ट्स के अनुसार, पीएम 2.5 कण के चलते दुनियाभर में 15 लाख के आस-पास मौतें हो सकती हैं. दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के बीच जारी की गई यह स्टडी सावधान करनेवाली है. यहाँ पर राहत की खबर ये है कि अभी वायु की गुणवत्ता (AQI) में थोड़ा सुधार देखा गया है.
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